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जनता का मुकदमा पर प्रदीप भंडारी ने 20 तस्वीरों के साथ दिखाया ज्ञानवापी के ‘सच’ का सर्वे

वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद के विवाद में कोर्ट ने पुरातात्विक सर्वेक्षण कराने का आदेश दिया है. फास्ट ट्रैक कोर्ट के जज आशुतोष तिवारी ने गुरुवार, 8 अप्रैल को अपने फैसले में कहा कि पुरातत्व विभाग 5 लोगों की टीम बनाकर पूरे परिसर की स्टडी कराए. सर्वेक्षण का खर्च राज्य सरकार उठाएगी. इस मामले पर कोर्ट गुरुवार (12 मई) को फैसला सुनाएगा.

आज जनता का मुकदमा पर प्रदीप भंडारे ने ज्ञानवापी के अंदर की तस्वीरों के जरिए वहां मां गौरी श्रृंगार मंदिर होने के अस्तित्व का सबूत दिया है.

आपको बता दें की सन् 1669 में औरंगजेब के आदेश के पश्चात मुगल सेना ने आक्रमण कर मंदिर ध्वस्त किया था. आक्रमण के समयावधि में मुगल सेना मंदिर के बाहर स्थपित विशाल नंदी की प्रतिमा को तोड़ने का भी प्रयास किया था परंतु सेना के कई प्रयासों के पश्चात भी वे नंदी की प्रतिमा को नहीं तोड़ सके. तब से आज तक विश्वनाथ मंदिर परिसर से दूर रहे ज्ञानवापी कूप और विशाल नंदी अपने आराध्य भोलेनाथ से भिन्न है.

मंदिर पक्ष का दावा है कि औरंगजेब के शासनकाल में काशी विश्वनाथ मंदिर को तोड़कर उसी परिसर के एक हिस्से में ज्ञानवापी मस्जिद बना दी गई थी. मंदिर पक्ष दावा है कि मंदिर के अवशेष पूरे परिसर में आज भी मौजूद है.

 

विशाल नंदी की प्रतिमा

नंदी अभी भी भोलेनाथ के मूल ज्योतिर्लिंग अर्थात काशी विश्वेश्वर को देख रहे हैं जो कि वर्तमान समय में ज्ञानवापी परिसर में स्थित है।

माँ श्रृंगार गौरी की प्रतिमा

मस्जिद के पश्चिमी हिस्से में श्रृंगार गौरी की प्रतिमा है मस्जिद की दीवारों पर माँ श्रृंगार गौरी की आकृतियां है.

सनातन वास्तुकला

आप तस्वीर में देख सकते हैं मस्जिद के अंदर दीवार पर सनातन वास्तुकला का प्रतीक मौजूद है.

हिन्दू वास्तुकला

आप इस तस्वीर के जरिए देख सकते हैं मस्जिद के अंदर वाले हिस्से पर हिंदू वास्तुकला का पूरा स्तंभ मौजूद है.


मंदिर के पीछे मीनार

इस तस्वीर में आप देख सकते हैं मंदिर के पिछले हिस्से पर मीनार बनाई गई हैं.

ज्ञानवापी का पिछला भाग

आप इस तस्वीर में साफ देख सकते हैं की मस्जिद के पीछे ज्ञानवापी का हिस्सा अभी तक मौजूद है जो इस बात का सबूत देता है कि यहां पर पहले मस्जिद नहीं मंदिर था.

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