ज्ञानवापी मस्जिद केस में कोर्ट कमिश्नर विशाल सिंह ने सर्वे रिपोर्ट पेश कर दी है. यह रिपोर्ट 14 से 16 मई तक के सर्वे की है. कोर्ट कमिश्नर विशाल सिंह की सर्वे रिपोर्ट में दीवार पर त्रिशूल के खुदे हुए चिन्ह के बारे में जिक्र किया गया. साथ ही इस रिपोर्ट में त्रिशूल की आकृतियों के बारे में भी बताया गया है, जिन्हें पेंट से ढकने की कोशिश की गई. मस्जिद के पहले गेट के पास उत्तर दिशा में वादी के अधिवक्ता ने तीन डमरू के चिन्ह दिखाई देने की बात कही है. गुरुवार को प्रदीप भंडारी ने अपने जो जनता का मुकदमा पर इसी सर्वे रिपोर्ट पर बात की.
प्रदीप भंडारी ने कहा कि, ‘ढोंगी झूठे और नवनिर्मित हिंदू सनातनी मीडिया के कुछ लोग जो कल तक हिंदुओं का अपमान कर रहे थे और छद्म धर्मनिरपेक्ष बन रहे थे आज मैं इन सब को कहना चाहता हूं अगर अजय मिश्रा की रिपोर्ट नहीं मानना तो विशाल सिंह की रिपोर्ट के कण-कण में यह बात है कि ज्ञानवापी के हर कण में सनातन है और ज्ञानवापी के अंदर मंदिर के तमाम प्रमाण है.’
आज मैं सिर्फ विशाल सिंह की रिपोर्ट पाढुंगा पेज नंबर 8 में लिखा है कि सामान्य रूप से बड़ी शिवलिंग का जो आकार है वैसा प्रतीत होता है. इस गोलाकार आकृति के नीचे जमीन पर पहुंचना संभव नहीं मतलब फव्वारा गैंग जो फव्वारा की बात कर रहा था वह जमीन के नीचे तक जा ही नहीं सकता, तो फव्वारा कैसे ?
'ज्ञानवापी मंदिर था, ज्ञानवापी मंदिर है, ज्ञानवापी मंदिर रहेगा' –
Pradeep Bhandari's DALEEL on #GyanvapiMandir debate after both Gyanvapi survey reports reveal every evidence of temple. Watch him on @JMukadma on @IndiaNews_itv.#Gyanvapi@pradip103 pic.twitter.com/ynoxDpfOp5
— Jan Ki Baat (@jankibaat1) May 19, 2022
पेज नंबर 6 अनुच्छेद 2 ने लिखा है कि मलवा पाया मिला उस मलबे पर आकृति मंदिर जैसी प्रतीत होती. प्रथम गेट जो उत्तर दिशा में है तीन डमरु जैसे सार्थक मिले हैं ऐसी कौन सी मस्जिद है जहां डमरू जैसी आकृति होती है. और आगे यह भी लिखा है कि 20 फीट बड़ा त्रिशूल दिखा है. त्रिशूल डमरू मंदिर की आकृतियां महादेव का शिवलिंग और नीचे जाने के लिए कोई उपाय नहीं. रिपोर्ट में विशाल सिंह ने लिखा है कि जब दूसरे पक्ष से पूछा गया अगर वह फव्वारा है तो कितना पुराना है पहले उन्होंने कहा 20 साल फिर जवाब बदलकर 12 साल बोला. आगे पूछा अगर वह फव्वारा है तो चला कर दिखाइए लेकिन वह उसने भी असमर्थ रहे.
मतलब साफ है छद्म धर्मनिरपेक्ष अशोक गहलोत जी और तमाम वह लोग जो यह कह रहे थे कि हिंदू भावना तमाशा है. आज विशाल सिंह की इस रिपोर्ट के अंदर हर शब्द में मंदिर की सनातनी अस्तित्व झलक रही है