मंगलवार को अपने शो जनता का मुकदमा पर प्रदीप भंडारी ने वाराणसी कोर्ट में सुनवाई के बाद शिव भगवान की पूजा के लिए अपने मौलिक अधिकार की बात की.
उन्होंने कहा कि,’ मैं एक हिंदू हूं, और संविधान ने मुझे पूजा का अधिकार दीया है. तो आज मैं पूछता हूं कि इस देश का कोई भी कानून मेरे पूजा के अधिकार, जो मेरा मौलिक अधिकार है आर्टिकल 25 के तहत उसको कैसे छीन सकता है?
मैं हिंदू हूं, और मैं पूछता हूं कि अगर हजारों साल के जाति शोषण को सुधारने के लिए संविधान में रिजर्वेशन है, पुरानी गलतियों को सुधारने के लिए रिजर्वेशन है तो फिर क्या इस्लामिक आक्रांताओं द्वारा नष्ट मंदिरों की भूल को सुधारने के लिए कानून नहीं होना चाहिए? कानून तो दूर, एक काला कानून मेरे पूजा के अधिकार को छीनने के लिए कैसे हो सकता है?
'I am a practicing Hindu. Right to Pray to my God is my fundamental right guaranteed by Indian Constitution. Can the 1991 Places of Worship Act, snatch my Right to Pray?' –
Pradeep Bhandari's DALEEL on #ReviewWorshipAct Mukadma on @JMukadma on @IndiaNews_itv.@pradip103 pic.twitter.com/tbUhH7adFe
— Jan Ki Baat (@jankibaat1) May 24, 2022
मैं हिंदू हूं,और मैं पूछता हूं कि कल अगर संसद यह कानून बना देगी 1984 सिख दंगों को भुला दिया जाए, और अपराधियों को माफ कर दिया जाए तो क्या सही होगा? बिल्कुल नहीं तो फिर हिंदुओं को कैसे एक काला कानून कह सकता है औरंगजेब ने जो किया उसको भूल जाओ.
मैं हिंदू हूं, और पूछता हूं कि जब 1947 से ज्ञानवापी में मां श्रृंगार गौरी की पूजा होती थी,अब शिवलिंग के भी प्रमाण सामने आ गए तो काला कानून कैसे पूजा को रोक सकता है? यह कानून का कर्तव्य है कि अतीत की गलतियों को सुधारा जाए अगर संसद कानून बना सकता है तो संसद कानून हटा भी सकता है.