पंजाबी सिंगर सिद्धू मूसेवाला के परिजनों ने शनिवार को चंडीगढ़ में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की. इस मुलाकात में सिद्धू मूसेवाला के परिवार ने गृहमंत्री अमित शाह से मूसेवाला की हत्या की जांच सीबीआई (CBI) से कराने की मांग की.
चंडीगढ़ में अमित शाह से मिलते ही सिद्धू मूसेवाला के पिता बलवीर कौर भावुक हो गए और रो-रोकर अपना दर्द बयां किया. वीडियो में मूसेवाला के पिता को केंद्रीय गृह मंत्री से हाथ जोड़कर बात करते देखा जा सकता है.
#WATCH | Punjabi singer Sidhu Moose Wala’s family met Union Home Minister Amit Shah in Chandigarh.
He was killed by unknown assailants in Mansa district on 29th May. pic.twitter.com/q0HA5Nzo80
— ANI (@ANI) June 4, 2022
केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के अनुसार, मूस वाला के परिवार ने पहले अमित शाह को एक पत्र लिखकर पंजाबी गायक की हत्या की केंद्रीय एजेंसियों से जांच कराने की मांग की थी.
सिद्धू मूसेवाला की 29 मई को दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी थी
गौरतलब है कि 28 साल के पंजाबी सिंगर सिद्धू मूसेवाला की मानसा जिले में 29 मई को दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी गई. सिद्धू मूसेवाला की थार जीप पर 30 राउंड से अधिक गोलियां बरसाई गईं. सिद्धू के पिता बलकौर सिंह के मुताबिक जब उनके बेटे पर हमला हुआ तो वह दूसरी गाड़ी में कुछ ही दूरी पर मौजूद थे. उन्होंने बताया कि एक कोरोला कार उनके बेटे की थार जीप का पीछा कर रही थी. जवाहर गांव के बाहरी रास्ते पर खड़ी एक सफेद बोलेरो में सवार 4 बंदूकधारियों ने सिद्धू मूसेवाला की थार जीप पर गोलीबारी की, जिसमें उसकी मौत हो गई.
कनाडा के गैंगस्टर ने की सिद्धू मूसेवाला की हत्या
इस हत्याकांड की जिम्मेदारी गैंग लीडर लॉरेंस बिश्नोई के करीब सहयोगी गैंगस्टर गोल्डी बराड़ ने एक फेसबुक पोस्ट के जरिए ली है. फेसबुक पोस्ट में अपराधी गोल्डी बराड़ ने दावा किया है कि अकाली दल के एक नेता की हत्या की जांच में गायक का नाम सामने आया था. लेकिन उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई.
पंजाब सरकार ने वापस ले ली थी सुरक्षा
सिद्धू मूसेवाला की मौत से 1 दिन पहले पंजाब की आम आदमी पार्टी सरकार ने मूसेवाला समेत कुल 424 VIP लोगों की सुरक्षा पर कैची चलाई थी. इस लिस्ट में डेरामुखी सहित कई सेवानिवृत्त अधिकारी भी शामिल हैं. वर्तमान और पूर्व विधायकों की सुरक्षा भी वापस ली गई है. इनमें शिअद के वरिष्ठ नेता चरण जीत सिंह ढिल्लों, बाबा लाखा सिंह, सतगुरु उधय सिंह, संत तरमिंदर सिंह भी शामिल हैं. बताया जा रहा है कि सरकार ने पहले एक रिव्यू मीटिंग की थी, उसके बाद इन लोगों की सुरक्षा वापस लेने का फैसला हुआ था.