नूपुर शर्मा ने पिछले महीने एक टीवी डिबेट के दौरान पैग़ंबर मोहम्मद पर विवादित टिप्पणी की थी, जिसके विरोध में देश के कई राज्यों में उनके ख़िलाफ़ इस भड़काऊ बयान को लेकर दंगे हुए और लगभग कई शहरों में एक दर्जन से ज्यादा एफ़आईआर दर्ज कराई गई. इन्हीं एफ़आईआर को दिल्ली शिफ़्ट करने के लिए नूपुर शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में अर्ज़ी दी थी, जिसको सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया और कहा कि वह हाईकोर्ट का रुख करें.
शुक्रवार को अपनी जो जनता का मुकदमा पर शो के होस्ट प्रदीप भंडारी ने इसी मुद्दे पर मुकदमा किया.
प्रदीप भंडारी ने कहा कि,”मोहम्मद रियाज और मोहम्मद गौस आतंकवादी हैं और उन्होंने कन्हैयालाल कि तालिबानी तरीके से सर तन से जुदा किया. लेकिन माय लॉर्ड के लिए कन्हैयालाल के लिए नूपुर शर्मा जिम्मेदार है. मोहम्मद रियाज और मोहम्मद गौस पाकिस्तान के दावत ए इस्लाम से ट्रेनिंग ले चुके हैं 26/11 की नंबर प्लेट इस्तेमाल की हैं. पर कन्हैयालाल के मर्डर के लिए नूपुर शर्मा जिम्मेदार है.”
कन्हैयालाल के शरीर पर 26 घाव पोस्टमार्टम में पाए गए हैं लेकिन माय लॉर्ड कन्हैया की तालिबानी हत्या के लिए नूपुर शर्मा जिम्मेदार है. आतंकवादी रियाज़ और मोहम्मद गौस के खिलाफ देशभर में गुस्सा है जब पुलिस उनको उदयपुर सत्र न्यायालय ले गई तब पब्लिक इन आतंकवादियों को सबक सिखाना चाहती थी पर माई लॉर्ड के हिसाब से यह आतंकवादी तो जिम्मेदार ही नहीं है, नूपुर शर्मा का बयान जिम्मेदार है.
Pradeep Bhandari : 'I am not like the Chai – Biscuit gang – that will now conveniently use 'subjudice' excuse to deflect from #HinduLivesMatter. Terrorism deserves no mercy.
Watch @pradip103's DALEEL on #HinduLivesMatter debate on @JMukadma on @IndiaNews_itv.#NupurSharma pic.twitter.com/M1cB8Sq0rN
— Jan Ki Baat (@jankibaat1) July 1, 2022
माय लॉर्ड अगर इस लॉजिक को विस्तार से देखें तो कमलेश तिवारी, किशन बरवाड़, अंकित शर्मा, रतन लाल के लिए भी नूपुर शर्मा का बयान जिम्मेदार है? लेकिन खैर माई लॉर्ड मामला न्यायाधीन है, तो मैं फिर क्या मीडिया सिर्फ चाय बिस्कुट वाला काम करेगी- आज का तापमान 36 डिग्री सेल्सियस है थोड़ी गर्मी है,सुबह बारिश हो रही थी ,रेनकोट इस्तेमाल करिए, आलिया भट्ट प्रेग्नेंट है.
आप माय लॉर्ड के न्यायाधीन मामले में कहां लिखा है कि आर्टिकल 19(1) के तहत बोलने की आजादी नहीं है? सुप्रीम कोर्ट टो फ्रीडम आफ एक्सप्रेशन देने का काम करता है आज पहली बार पता चला कि न्यायाधीन मामले पर चुप रहना है, दिमाग इस्तेमाल नहीं करना, बोलना नहीं, देखना नहीं.