बिहार में बुधवार को उस समय विवाद खड़ा हो गया जब भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने नव-नियुक्त कानून मंत्री कार्तिकेय कुमार उर्फ कार्तिक सिंह पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि वह अपहरण के एक मामले में वांछित है और उसने आदेश पर अदालत के समक्ष आत्मसमर्पण नहीं किया। जिस तारीख पर उन्हें हाजिर होना था उसी दिन पद की शपथ ले रहे थे।
अतिरिक्त लोक अभियोजक रश्मि सिन्हा ने पुष्टि की, “दानापुर सिविल कोर्ट के प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट अजय कुमार की अदालत ने 17 जुलाई, 2022 को कार्तिकेय के खिलाफ जमानती वारंट जारी करने का आदेश दिया और अदालत ने 19 जुलाई को वारंट जारी किया।” अदालत ने 16 अगस्त की तारीख तय की थी लेकिन कार्तिक सिंह पेश नहीं हुए।
शिकायतकर्ता राजू सिंह का प्रतिनिधित्व कर रहे अमरज्योति शर्मा ने कहा, “यह अपहरण के बारे में 2014 का मामला है। न्यायिक मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज अपने बयान के आधार पर इस कांड में कार्तिकेय सिंह का नाम आया। 2017 में, उन्होंने HC में अग्रिम जमानत की मांग करते हुए एक याचिका दायर की थी जिसे अदालत ने खारिज कर दिया था। हाईकोर्ट ने उन्हें कोई राहत नहीं दी। फिलहाल गिरफ्तारी वारंट लंबित है। मैं शपथ की वैधता के बारे में कुछ नहीं कह सकता।”
बिहार सरकार भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने की बात भले करती हो, लेकिन महागठबंधन की सरकार बनते ही एक बार फिर नीतीश सरकार दागी मंत्रियों को लेकर सवालों के घेरे में हैं। जहां कानून मंत्री बिहार पुलिस की नजर में फरार चल रहे हैं, वहीं बिहार सरकार के नए कृषि मंत्री सुधाकर सिंह जो राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के पुत्र हैं। उनके ऊपर भी एसएफसी का करोड़ों रुपए के चावल गबन का आरोप है, जिसको लेकर SFC ने साल 2013 में रामगढ़ थाने में गबन को लेकर प्राथमिकी दर्ज कराई गई है।
वहीं नीतीश कुमार की सरकार में शिक्षा मंत्री की जिम्मेदारी प्रोफेसर चंद्रशेखर को दी गई है। जो तीसरी बार मधेपुरा विधानसभा सीट से विधायक हैं। इस बार चंद्रशेखर ने दिग्गज नेता पप्पू यादव (Pappu Yadav) को चुनाव में पटखनी दी थी। चंद्रशेखर इस साल 20 फरवरी को दिल्ली (Delhi) के इंदिरा गांधी एयरपोर्ट (Indira Gandhi Airport) पर 10 जिंदा कारतूसों के साथ पकड़े गए थे। हालांकि बाद में उन्हें छोड़ दिया गया था.