जम्मू-कश्मीर में आने वाले विधानसभा चुनाव में बाहरी व्यक्तियों के वोट डालने वाली रिपोर्ट पर विपक्षी नेताओं ने चुनाव आयोग के कदम का विरोध किया है। जम्मू-कश्मीर के मुख्य निर्वाचन अधिकारी हृदेश कुमार ने बताया है कि प्रदेश में करीब 25 लाख नए मतदाताओं के नाम मतदाता सूची में दर्ज होने की उम्मीद है। उन्होंने यह भी कहा कि मतदाता सूची में शामिल होने के लिए किसी व्यक्ति के पास जम्मू-कश्मीर का अधिवास प्रमाण पत्र होना आवश्यक नहीं है।
हृदेश कुमार ने से कहा, “अनुच्छेद-370 के निरस्त होने के बाद बहुत से लोग जो मतदाता के रूप में सूचीबद्ध नहीं थे, वे अब मतदान करने के पात्र हैं और इसके अलावा जो कोई भी सामान्य रूप से रह रहा है, वह भी जन अधिनियम के प्रतिनिधित्व के प्रावधानों के अनुसार जम्मू-कश्मीर में मतदाता के रूप में सूचीबद्ध होने के अवसर का लाभ उठा सकता है। मतदाता सूची में शामिल होने के लिए किसी व्यक्ति के पास जम्मू-कश्मीर का निवास प्रमाण पत्र होना आवश्यक नहीं है।”
हृदेश कुमार ने जानकारी देते हुए बताया कि यहां काम करने वाले कर्मचारी, पढ़ाने करने आए छात्र, काम की तलाश में आए मजदूर और कोई भी गैर स्थानीय जो कश्मीर में रह रहा है, वह अपना नाम मतदाता सूची में दर्ज करवा सकता है।
चुनाव आयोग के कदम का उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती ने विरोध किया है
चुनाव आयोग के निर्णय का विरोध करते हुए उमर अब्दुल्ला ने कहा, “भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) जम्मू कश्मीर के वास्तविक मतदाताओं के समर्थन को लेकर इतनी असुरक्षित है कि उसे सीटें जीतने के लिए अस्थायी मतदाताओं को आयात करने की जरूरत है? जब जम्मू-कश्मीर के लोगों को अपने मताधिकार का प्रयोग करने का मौका दिया जाएगा, तब इनमें से कोई भी भाजपा की सहायता नहीं करेगा।”
वहीं महबूबा मुफ्ती ने कहा, “जम्मू कश्मीर में चुनावों को स्थगित करने संबंधी भारत सरकार का निर्णय, पहले भाजपा के पक्ष में पलड़ा झुकाने और अब गैर स्थानीय लोगों को वोट देने की अनुमति देने से चुनाव परिणामों को प्रभावित करने के लिए है। असली उद्देश्य स्थानीय लोगों को शक्तिहीन करने के लिए जम्मू-कश्मीर पर शासन जारी रखना है।”