कर्नाटक के शिक्षण संस्थानों में हिजाब पहनने को लगे बैन पर हुए विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट की दो जजों वाली बेंच का विभाजित फैसला गुरुवार को सामने आया है।
गुरुवार को अपने शो जनता का मुकदमा परसों के होश प्रदीप भंडारी ने कट्टरपंथियों के इसी मकसद पर आज का मुकदमा किया।
विभाजित फैसला आने के बाद बेंच की अध्यक्षता कर रहे जस्टिस हेमंत गुप्ता ने भारत के मुख्य न्यायाधीश से आग्रह किया है कि अब यह केस बड़ी बेंच के पास भेजा जाए।
प्रदीप भंडारी ने कहा कि, आप और हम सब लोग स्कूल गए है हमें पता हैं वहा सब के लिए एक यूनिफॉर्म है, आर्मी की भी एक ही यूनिफॉर्म होती है। हमारा देश संविधान से चलता है, किसी धार्मिक किताब से नहीं। किसी भी धार्मिक पहचान को थोपना एक धार्मिक स्थान के अंदर ही होना चाहिए, जहां बच्चे पढ़ते है वहा नहीं होना चाहिए।
इसलिए मुझे उम्मीद है जिस तरीके से देश के हर वेक्ति ये चाहता है की हिजाब के ऊपर शिक्षा को प्राथमिकता दी जाए और केस वर्डिक्ट को सुप्रीम कोर्ट के जज अब बड़ी बेंच पर सुनने वाले हैं। लेकिन इससे कट्टरपंथी बौखला गए हैं वह समझ नहीं पा रहे कि क्या करें लेकिन और असदुद्दीन ओवैसी संविधान के अनुच्छेद 14 को भूल चुके हैं जिनको मैं कहना चाहता हूं संविधान को मानते हो तो शिक्षा को प्राथमिकता दो ना कि अपने किसी एजेंडा को।
'Justice Hemant Gupta's verdict in the Hijab Case was strongly rooted in priciples of true secularism' –
Pradeep Bhandari's DALEEL on #HijabVerdict debate on tonight's edition of @JMukadma on @IndiaNews_itv.#HijabBan @pradip103 pic.twitter.com/JRyayiET3Z
— Jan Ki Baat (@jankibaat1) October 13, 2022
यह पूरा मामला तब शुरू हुआ जब पीएफआई एक बहन संगठन ने कुछ बच्चों के दिमाग में डाल दिया था अगर हिजाब नहीं पहनेंगे तो शिक्षा नहीं मिलेगी।