Voice Of The People

पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की कश्मीर नीति एक बड़ी विफलता थी-प्रदीप भंडारी की दलील

कश्मीर को लेकर देश का एक वर्ग हमेशा से पूर्व पीएम जवाहरलाल नेहरू को दोषी मानता आया है। जिसपर बीजेपी की राय भी इस वर्ग से मिलती झुलती रही है। केन्द्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने मीडिया में कश्मीर पर नेहरू की नीति को लेकर एक बड़ा बयान ज़ारी कर दिया है। उन्होंने कहा कि जवाहरलाल नेहरू की गलतियों के कारण ही आज 75 साल बाद भी जम्मू-कश्मीर पर विवाद चल रहा।

गुरुवार को अपने शो जनता का मुकदमा पर प्रदीप भंडारी ने जवाहरलाल नेहरू की कश्मीर नीति पर आज का मुकदमा किया।

प्रदीप भंडारी ने कहा कि, भारत को स्वीकार करना चाहिए की देश के पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की नीति जम्मू कश्मीर पर एक बड़ी विफलता थी।

क्या ये सत्य नहीं है की पहला, महाराज हरि सिंह विलय का दस्तावेज बीना कंडीशन के जुलाई 1947 मैं साइन करने को तैयर थे? दूसरा, 20 oct,1947 को जब पाकिस्तान कबीले जब जम्मू कश्मीर में  घुसे तब भी नेहरू जी ने महाराज की बात नहीं मानी?

तीसरा, 1948 , जनवरी में नेहरू ने UNSC में जम्मू कश्मीर को आर्टिकल 35 के अंदर ले कर गए थे ना की  आर्टिकल 51 के अंदर। चौथा, POK के कई इलाके जैसे मीरपुर, कोटली में 40 हजार से ज्यादा हिंदू, सिख हिंदुस्तान से मदद के लिए पुकार रहे थे और नेहरू ने अपनी सेना नहीं भेजी । इनमें से 30 हजार हिंदू सिख मारे गए थे।

यह सत्य है अगर जम्मू कश्मीर में 370 आर्टिकल नहीं डाला होता ना कश्मीर का अंतर्राष्ट्रीयकरणकिया होता तो 70 साल तक इतनी सैनिकों का बलिदान नहीं होता। आज जब देश आज़ादी के 75 साल बना रहा हैं।

SHARE

Must Read

Latest