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क्यों लेखक अरविंदन निलकन्दन ने प्रदीप भंडारी से कहा- लेफ्ट लॉबी ने हिंदुत्व को कम्युनल करार दिया है, जानें

आज जनता का मुकदमा के स्पेशल एडिसन में प्रदीप भंडारी से खास बात चीत के लिए भारत के प्रसिद्ध लेखक अरविंदन निलकन्दन आए थे। अरविंदन निलकन्दन ने एक प्रसिद्ध किताब लिखी है जिसका नाम ‘हिंदुत्व ओरिजिन एंड फ्यूचर’ है। आज की बातचीत का मुद्दा भी इसी किताब के ऊपर था।

प्रदीप भंडारी ने अरविंदन से पहला सवाल किया कि क्या लेफ्ट लॉबी ने हिंदुत्व को कम्युनल करार दिया है? इस सवाल के जवाब में अरविंदन ने बताया कि आप जब देखेंगे कि हमारा मॉडर्न भारत जब बनाया गया आप तीन लोगों को देखेंगे जवाहर लाल नेहरू, महात्मा गांधी और भीमराव अंबेडकर जो कि मॉडर्न इंडिया के फाउंडर है। ये सभी इस बात से का समर्थन करते हैं कि भारत की कल्चरल यूनिटी निर्विवाद है। यहाँ तक कि जवाहर लाल नेहरू ने भी इस तथ्य को स्वीकार किया था।

अगले सवाल में प्रदीप भंडारी ने पूछा कि आपने अपने किताब में लिखा है कि वीर सावरकर ने कहा था कि जो भी व्यक्ति भारत माता को मानता है और सिंधु के नीचे रहता है वो हिन्दू है। क्या आज़ादी के बाद लेफ्ट लॉबी ने हिंदुत्व और हिन्दू को एक कम्यूनल एंगल से देखने की कोशिश किया था? इस सवाल के जवाब में अरविंदन ने कहा कि कॉलोनियाल एरा में अंग्रेज नहीं चाहते थे कि यहाँ के लोगों में राष्ट्रवाद जगे, इसलिए उन्होंने इस आईडिया को प्रोमोट किया और भाषा और धर्म के आधार पर बांटा। आज़ादी के समय मे एक शक्ति परिवारवाद की थी। इसी तरह के एजेंडा को फैलाया जो कॉलोनियाल एरा में था। वो भारतीयों को ये दिखाना चाहते थे कि अगर परिवारवाद नहीं होगा तो भारत बंट जाएगा। अगर समाजवाद नहीं होगा तो भारत टुकड़ों में बैठ जाएगा। उन सब ने परिवारवाद की राजनीति को प्रमोट किया। कम्युनिस्ट ने भी इसी परिवारवाद के एजेंडा को आगे बढ़ाते हुए कहा कि भारत केवल अलग अलग भाषा बोलने वाले राज्यों का समूह है।

अगले सवाल में प्रदीप भंडारी ने पूछा कि आपको ये किताब लिखने की सोच कहाँ से आई? इस सवाल के जवाब में अरविंदन ने कहा कि मैंने ये किताब अपने अनुभव से लिखी है। जब मैं 14 साल का था तो आरएसएस के साखा में गया। मैंने बाहर सुना था कि आरएसएस नफरत फैला रही है युवाओं को बरगला रही है, ऐसे कई फेक प्रोपेगंडा मैंने सुने मगर अंदर ऐसा नहीं था। आरएसएस में ही मैंने अशफाकउल्ला खान के बारे में जाना, आरएसएस में ही मैंने इस्लामिक रश्क के बारे में जाना। मेरा आरएसएस का अनुभव था कि ये बिना नफरत के सीखा रहा है मगर जब मैं बाहर देखता हूं तो मीडिया और कुछ राजनीतिक लोग कहते हैं कि आरएसएस नफरत फैला रही है और यही बात मैंने हिंदुत्व के लिए भी सुना। इसलिए मैंने रिसर्च किया।

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