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“अशांति, भ्रष्‍टाचार को North East में 8 साल में Red Card”, पीएम नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में पूर्वोत्तर भारत में पिछले 8 सालों में क्या बदला, जानें

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार सुबह मेघालय की राजधानी शिलांग पहुंचे और यहां उत्तर-पूर्व परिषद की 50वीं वर्षगांठ पर स्वर्ण जयंती समारोह में शामिल हुए। इस दौरान पीएम मोदी ने कहा, “जिस तरह आज पूरी दुनिया में फीफा वर्ल्ड कप का फीवर चढ़ा है, तो फुटबॉल की परिभाषा में ही क्यों न बात की जाए। जब कोई खिलाड़ी भावना के खिलाफ जाता है तो उसे रेड कार्ड दिखाया जाता है। इसी तरह हमने भी पिछले 8 सालों में नॉर्थ ईस्ट में अविकसितता, भ्रष्टाचार, राजनीतिक पक्षपात और अशांति जैसी बाधाओं को रेड कार्ड दिया हैं।”

8 सालों में 50 बार से अधिक पूर्वोत्तर भारत का दौरा करने वाले एकमात्र प्रधानमंत्री हैं नरेंद्र मोदी। मोदी सरकार ने पिछले 8 सालों में पूर्वोत्तर के विकास पर विशेष ध्यान दिया है। पूर्वोत्तर के राज्यों में सरकार ने परिवहन और संचार पर विशेष ध्यान दिया और वहां की दशा बदलने का एक सफल प्रयास किया है।

आइए जानते हैं पिछले 8 सालों में आखिरकार पूर्वोत्तर भारत में ऐसा क्या बदला है जिसके लिए बीजेपी सरकार को गर्व होना चाहिए। आंकड़ों के साथ आपको बता रहे हैं कि पूर्वोत्तर के राज्यों में किस तरह का परिवर्तन हुआ है।

त्रिपुरा के जरिए नॉर्थ ईस्ट इंटरनेशनल ट्रेड का भी एक गेट-वे बन रहा है। अगरतला-अखौरा रेलवे लाइन से व्यापार का नया रास्ता खुलेगा। इसी तरह, भारत-थाईलैंड-म्यांमार हाईवे जैसे रोड इन्फ्रास्ट्रक्चर के जरिए नॉर्थ ईस्ट दूसरे देशों के साथ संबंधों का द्वार भी बन रहा है। अगरतला में महाराजा बीर बिक्रम एयरपोर्ट पर भी इंटरनेशनल टर्मिनल बनने से देश-विदेश के लिए कनेक्टिविटी आसान हुई है। इससे त्रिपुरा, नॉर्थ ईस्ट के लिए महत्वपूर्ण लॉजिस्टिक्स हब के रूप में विकसित हो रहा है।त्रिपुरा की 1 लाख से अधिक गर्भवती माताओं को प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना का भी लाभ मिला है। इसके तहत हर माता के बैंक खाते में पोषक आहार के लिए हज़ारों रुपए सीधे जमा किए गए हैं। आज अधिक से अधिक डिलिवरी अस्पतालों में हो रही है, जिससे मां और बच्चे दोनों का जीवन बच रहा है। 2014 से पहले जहां आदिवासी क्षेत्रों में 100 से कम एकलव्य मॉडल स्कूल थे। वहीं आज ये संख्या 500 से अधिक पहुंच रही है। त्रिपुरा के लिए भी 20 से अधिक ऐसे स्कूल स्वीकृत हुए हैं।

शिक्षा एवं स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार

2016 तक असम में केवल 6 मेडिकल कॉलेज होते थे, लेकिन इन 7 साल में अकेले असम में 6 और मेडिकल कॉलेज बनाने का काम शुरू किया जा चुका है। बिस्वनाथ और चरईदेव में दो और मेडिकल कॉलेजों का शिलान्यास हो गया है। ये मेडिकल कॉलेज अपने आप में आधुनिक स्वास्थ्य सेवाओं के केंद्र तो बनेंगे ही, साथ ही अगले कुछ सालों में यहां से ही हजारों नौजवान डॉक्टर बनकर निकलेंगे। वहीं गुवाहाटी में एम्स का काम भी तेजी से आगे बढ़ रहा है। एम्स के वर्तमान कैम्पस में इसी अकैडमिक सत्र से MBBS का पहला बैच शुरू भी हो गया है। गुवाहाटी केवल असम ही नहीं, बल्कि पूरे पूर्वोत्तर के जीवन में एक बड़ा परिवर्तन करने वाला है। देश की पिछली सरकारें ये पूर्वोत्तर से इतना दूर थी कि उनकी तकलीफें कभी समझ ही नहीं पाई।

बुनियादी ढांचे पर दिया जोर

विकास और बुनियादी ढांचे के मामले में पूर्वोत्तर अब देश के बाकी हिस्सों से अब और पीछे नहीं है क्योंकि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने पिछले 8 सालों में इस क्षेत्र के विकास पर विशेष ध्यान दिया है। दिलचस्प बात यह है कि भारत के सभी पूर्वोत्तर राज्यों में बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए की सरकार है।

बिजली और ऊर्जा के क्षेत्र में सुधार

बिजली और ऊर्जा के विषय पर, केंद्र सरकार का विजन असम को पड़ोस और आस-पास के भारत के हिस्सों के लिए ऊर्जा के प्रसारण का केंद्र बनाना है। फिलहाल बांग्लादेश से होते हुए असम को बिहार से जोड़ने वाली नई ट्रांसमिशन लाइनों को विकसित करने का काम जारी है। विदेश मंत्रालय के मुताबिक उत्तर पूर्वी ग्रिड का उपयोग करके बिजली निर्यात करने हेतु म्यांमार से भी बातचीत की जा रही है। यदि इस दिशा में कोई बीच का रास्ता निकल पाता है तो यह पूरे पूर्वोत्तर का नया भाग्य लिखने में बड़ा कारगर कदम साबित होगा।

 

पूर्वोत्तर भारत में उग्रवाद की समस्या से राहत

लंबे समय तक ”उग्रवाद” की ज्वाला में जले पूर्वोत्तर भारत में केंद्र सरकार ने काफी काम किया है। क्षेत्र में शांति के लिए केंद्र और असम सरकार ने बोडो संगठनों-एनडीएफबी और आल बोडो स्टूडेंट यूनियन के साथ शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए। इसके तहत नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड (एनडीएफबी) के तीन गुटों के 1,615 सदस्यों ने एक साथ आत्म समर्पण किया। इसके बाद उग्रवादियों के आत्मसमर्पण का सिलसिला लगातार चला। उल्फा (आई), एनडीएफबी, आरएनएलएफ, केएलओ, भाकपा (माओवादी), एनएसएलए, एडीएफ और एनएलएफबी के सदस्यों ने भी हिंसा की लड़ाई छोड़कर आत्मसमर्पण कर दिया।

केंद्र की विभिन्न योजनाएं पहुंचा रही लाभ

आयुष्मान भारत योजना, जनऔषधि केंद्र, प्रधानमंत्री नेशनल डायलिसिस प्रोग्राम या हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर्स, लोगों के जीवन में काफी बदलाव लेकर आए हैं। खासतौर से पूर्वोत्तर भारत के लोगों के लिए ये सरकारी योजनाएं वरदान साबित हो रही हैं। गरीबों के सैकड़ों करोड़ रुपए इलाज पर खर्च होने से बच रहे हैं। आयुष्मान भारत योजना के साथ ही लोगों को ‘अटल अमृत अभियान’ से भी फायदा हो रहा है। इस योजना में गरीबों के साथ ही सामान्य वर्ग के नागरिकों को भी बेहद कम किस्त पर स्वास्थ्य बीमा का लाभ दिया जा रहा है। वहीं पूर्वोत्तर भारत में अब हैल्थ एंड वेलनेस सेंटर्स भी खोले जा रहे हैं, जो गांव गरीब के प्राथमिक स्वास्थ्य की चिंता कर रहे हैं।

असम परिष्कृत पेट्रोलियम उत्पाद और चाय वर्कर्स की प्रगति

असम परिष्कृत पेट्रोलियम उत्पादों के उत्पादन में प्रमुख भागीदार रहा है, इसलिए इन उत्पादों की बड़े क्षेत्र में बिक्री को सुविधाजनक बनाने का भी काम जारी है। बांग्लादेश हाई स्पीड डीजल की आपूर्ति करने के लिए पाइपलाइन का निर्माण भी एक महत्वपूर्ण शुरुआत है। भविष्य में, म्यांमार के करीबी सीमावर्ती क्षेत्रों में तेल तथा गैस के नए स्रोत भी विकसित किए जाएंगे, जिससे असम में परिष्कृत उत्पादों का उत्पादन बढ़ेगा।

वही असम के चाय बागान जितने ज्यादा खास, उतनी ही दयनीय स्थिति यहां लंबे वक्त तक चाय वर्कर्स की रही। इसे समझते हुए केंद्र सरकार ने टी वर्कर्स के लिए अहम फैसले लिए। बजट 2021-22 में जहां असम और बंगाल के चाय मजदूरों के लिए 1,000 करोड़ रुपए का ऐलान किया गया। बजट के दौरान वित्‍त मंत्री ने कहा था कि इसके लिए एक विशेष योजना तैयार की जाएगी। चाय के बागानों में चाय की पत्तियां तोड़ने का कार्य ज्यादातर महिलाएं करती हैं। इसलिए केंद्र सरकार ने महिला श्रमिकों को केंद्र में रखकर इस राहत पैकेज का ऐलान किया था।

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