पाकिस्तान इन दिनों भयंकर महंगाई और आर्थिक मंदी के दौर से गुजर रहा है. लगातार घटता फॉरेन रिजर्व और उस पर बढ़ती महंगाई पाकिस्तानियों के लिए जी का जंजाल बन चुकी है. पाकिस्तान में जरूरी खाद्य सामग्री अब आम जनता की पहुंच से बाहर हो चुकी है. बढ़ती महंगाई के बीच ऐसा लग रहा है मानो पाकिस्तान ने घुटने टेक दिए हो.
पाकिस्तान ब्यूरो ऑफ स्टैटिस्टिक्स ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि संवेदनशील मूल्य सूचकांक में वित्त वर्ष 2021-22 और वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान मामूली बदलाव के साथ 2021 से दोहरे अंकों में वृद्धि देखी जा रही है.
खाद्य पदार्थों और फ्यूल की कीमतों में इजाफे के साथ पाकिस्तान में साप्ताहिक महंगाई दर पिछले साल की तुलना में 30 प्रतिशत से अधिक बढ़ी है. साप्ताहिक मुद्रास्फीति को संवेदनशील मूल्य सूचकांक (SPI) से मापा जाता है. पाकिस्तान स्टैटिस्टिक्स ब्यूरो (PBS) ने देशभर के 17 प्रमुख शहरों में 50 बाजारों से इकट्ठा 51 आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में उतार-चढ़ाव पर अपनी साप्ताहिक रिपोर्ट में कहा कि देश महंगाई में साल-दर-साल 30.60 फीसदी बढ़ोतरी दर्शाता है.
पाकिस्तान में प्याज के दाम में 501 फीसदी और चिकन के दाम में 82.5 फीसदी की बढ़ोतरी देखी गई है. गेहूं का आटा और चाय भी पिछले साल की समान अवधि की तुलना में क्रमश: 45 फीसदी और 65.41 फीसदी महंगे हुए हैं. डीजल की कीमतों में करीब 61 फीसदी की बढ़ोतरी की खबर है. पेट्रोल के दाम 48.21 फीसदी, अंडे के दाम 50.51 फीसदी, नमक पाउडर के दाम 49.50 फीसदी, दलहन मूंग के दाम 47 फीसदी और टूटे बासमती चावल के दाम 46 फीसदी बढ़े हैं.