अर्थशास्त्री, प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य, और लेखक संजीव सान्याल की किताब जिसका शीर्षक है रिवॉल्यूशनरी..
इस किताब की खासियत यह है कि इसके अंदर इतिहास की गहराइयों में जाकर क्रांतिकारियों और देश की आजादी में शहीद हुए सभी आजादी के मतवालों की दास्तां लिखी हुई है.किताब के अंदर कुछ ऐसे महान नायकों का भी जिक्र है जिसे ना तो इतिहास की किताबों में जगह मिली और ना ही उन्हें कभी सही से देशवासियों के सामने रखा गया.
प्रदीप भंडारी के साथ अपने एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में किताब के अंदर लिखे कुछ अहम पहलुओं पर बात करते हुए डॉ संजीव सानयाल ने कहा कि हिंदू पुनरुत्थान भी क्रांतिकारियों के आंदोलन की एक बहुत बड़ी वजह रही है साथ ही उन्होंने अपनी किताब में कुछ लिखे ऐसे अंश भी साझा किए जो देश के सामने पहली बार सामने आए थे.
उन्होंने कहा कि हिंदू पुनरुत्थान स्वतंत्रता संग्राम का एक बहुत महत्वपूर्ण पहलू था.स्वतंत्रता आंदोलन में ताकत के लिए क्रांतिकारियों ने शक्ति पूजा का इस्तेमाल किया.हमारे क्रांतिकारियों के प्रेरणास्रोत थे स्वामी विवेकानंद है. इतिहास के पन्नों को पलटते हुए उन्होंने कुछ और भी अहम बातों का जिक्र करते हुए कहा नेताजी श्री अरबिंदो और स्वामी विवेकानंद के शिष्य थे.
नेताजी सुभाष चंद्र बोस के बारे में बोलते हुए उन्होंने कहा कि,नेताजी सुभाष चंद्र बोस बहुत धार्मिक व्यक्ति थे. क्रांतिकारी कट्टर नहीं थे. वे हिंदू धर्म से प्रेरित थे. हिंदू पुनरुत्थानवादी क्रांतिकारियों ने गैर हिंदुओं का भी स्वागत किया.
अपनी बातचीत के दौरान उन्होंने वीर सावरकर का भी नाम लेते हुए कहा कि वीर सावरकर को बदनाम करने की पूरी साजिश रची गई. एक कट्टर हिंदुत्ववादी के रूप में सावरकर को बदनाम किया गया. सावरकर का दाहिना हाथ मैडम बीकाजी कामा थे.समकालीन भारतीय राजनीति में सावरकर का चित्रण गलत है.