पिछले कुछ दिनों से उत्तराखंड के जोशीमठ में लगातार भूमि के खिसकने की घटना तेज होती जा रही है। लंबी लंबी चौड़ी दरारे घरों के अंदर देखी जा सकती हैं। जोशीमठ के अंदर खतरा मंडराता दिखाई दे रहा है। वहीं राज्य व केंद्र सरकार ने भी मुद्दे की गंभीरता को समझते हुए बचाव व राहत कार्य में तेजी कर दी है। भू-धसाव के चलते क्षेत्र में डर का भी माहौल देखा जा सकता है।
वही आपदा के वैज्ञानिक और पर्यावरण से संबंधित कारणों का भी पता लगाया जा रहा है। नई बहस छिड़ गई है कि क्या पहाड़ों में हो रहे अत्यधिक विकास कार्यों के चलते जोशीमठ पर खतरा आया है या फिर यह किसी पुरानी प्राकृतिक घटनाक्रम का ही हिस्सा है।
इस पर तमाम अलग-अलग तथ्य रिपोर्ट अब सामने आ रहे हैं। सरकार ने राहत और बचाव कार्यों के लिए सेना की भी मदद ली है। आज सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर जोशीमठ धंस क्यों रहा है? वैज्ञानिकों के अपने तर्क हैं। पेश है जोशीमठ भू धंसाव के ऐसे ही पांच कारणों, उन पर शोध रिपोर्ट के तथ्यों और वर्तमान में वैज्ञानिकों के नजरिए पर फोकस यह विशेष रिपोर्ट।
पांच प्रमुख कारण
1- एनटीपीसी की तपोवन-विष्णुगाड़ परियोजना की टनल का निर्माण
2- शहर में ड्रेनेज की व्यवस्था न होना
3- पुराने भू-स्खलन क्षेत्र बसा शहर
4- क्षमता से अधिक अनियंत्रित निर्माण कार्य
5- अलकनंदा नदी में हो रहा भू-कटाव