प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आने वाले 30 अप्रैल को मन की बात संबोधित करेंगे। बता दें कि यह मन की बात का 100वां एपिसोड होगा। प्रधानमंत्री हर महीने के आखिरी रविवार को मन की बात करते हैं। मन की बात में वह अहम मुद्दों का उल्लेख करते हैं। प्रधानमंत्री बनने के बाद से ही नरेंद्र मोदी ने मन की बात करना आरंभ किया था। उस समय लोग मानते थे कि रेडियो खत्म हो चुका है, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रेडियो पर ही मन की बात करना शुरू किया।
उसके बाद रेडियो को भी एक तरह से कह सकते हैं कि नया जीवन मिला। बता दें कि अब तक पीएम मोदी की मन की बात को 100 करोड़ से अधिक लोग सुन चुके हैं। इससे पता चलता है कि रेडियो पर लोगों की व्यस्तता कितनी अधिक बढ़ गई। जिस तरह से राष्ट्रपिता महात्मा गांधी लोगों से मिलते थे, लोगों को संबोधित करते थे और लोगों से खुद का कनेक्ट बनाए रखते थे। अगर हम आज के समय में देखें तो पीएम नरेंद्र मोदी भी ठीक उसी प्रकार से लोगों से कनेक्ट बना रहे हैं।
‘मन की बात’ का 100 वां एपिसोड रेडियो पर प्रसारित किया जाएगा। इस खास उपलब्धि पर सरकार की ओर से 100 रुपये का सिक्का जारी किया जाएगा। इस सिक्के पर माइक्रोफोन के साथ ‘मन की बात 100’ लिखा होगा और ये चार धातुओं से मिलकर बना होगा। सिक्के के आगे के भाग में 100 रुपये के साथ ₹ का निशान और अशोक स्तम्भ अंकित होगा। साथ ही आगे के निचले भाग में सत्यमेव जयते लिखा होगा। सिक्के के पिछले भाग में मन की बात के 100वें एपिसोड का प्रतीक चिह्न होगा और माइक्रोफोन की फोटो होगी। इस पर 2023 भी अंकित होगा। साथ ही हिंदी और अंग्रेजी में ‘मन की बात 100’ लिखा होगा।
मन की बात को आकाशवाणी के साथ दूरदर्शन के सभी चैनलों पर प्रसारित किया जाता है। इसे दूरदर्शन पर सांकेतिक भाषा में भी प्रसारित किया जाता है। मन की बात का पहला एपिसोड 14 मिनट का था, जबकि इसकी अवधि दूसरे एपिसोड में 19 मिनट और तीसरे एपिसोड में 26 मिनट की रही। चौथे एपिसोड के बाद से प्रत्येक एपिसोड की अवधि 30 मिनट की है।
शुरुआत में प्रसारण केवल हिंदी में था और बाद में अंग्रेजी संस्करण 31 जनवरी, 2016 से और संस्कृत संस्करण 28 मई, 2017 से प्रारंभ हुआ। वर्तमान में मन की बात का प्रसारण अंग्रेजी के साथ 22 भारतीय भाषाओं और 29 बोलियों (25 पूर्वोत्तर और 4 छत्तीसगढ़ से) और 11 विदेशी भाषाओं में होता है। भारतीय भाषाओं में हिंदी, संस्कृत, पंजाबी, तमिल, तेलुगु, कन्नड़, मराठी, गुजराती, मलयालम, उड़िया, कोंकणी, नेपाली, कश्मीरी, डोगरी, मणिपुरी, मैथिली, बंगाली, असमिया, बोडो, संथाली, उर्दू और सिंधी शामिल हैं।
वहीं इसे 29 बोलियों में प्रसारित किया जाता है। इनमें छत्तीसगढ़ी, गोंडी, हल्बी, सरगुजिया, पहाड़ी, शीना, गोजरी, बलती, लद्दाखी, कार्बी, खासी, जयंतिया, गारो, नगामेसे, हमार, पैते, थडौ, कबुई, माओ, तांगखुल, न्यिशी, आदि, मोनपा, आओ, अंगामी, कोकबोरोक, मिजो, लेप्चा और सिक्किमी (भूटिया) हैं और विदेशी भाषाओं में फ्रेंच, चीनी, इंडोनेशियाई, तिब्बती, बर्मी, बलूची, अरबी, पश्तू, फारसी, दारी और स्वाहिली शामिल हैं।
प्रधानमंत्री मोदी मन की बात कार्यक्रम में अब तक 700 से अधिक व्यक्तियों और लगभग 300 संगठनों का उल्लेख कर चुके हैं, इनमें 37 व्यक्ति और 10 विदेशी संगठन भी शामिल हैं। IIM रोहतक के एक अध्ययन के अनुसार, 100 करोड़ लोग इस रेडियो कार्यक्रम को सुन चुके हैं। इस कार्यक्रम के 23 करोड़ नियमित श्रोता हैं, जबकि 41 करोड़ लोग कभी-कभी इसे सुनते हैं। मन की बात कार्यक्रम रेडियो के साथ टेलीविजन और मोबाइल तीनों ही प्लेटफार्म पर काफी लोकप्रिय है। 44.7 प्रतिशत लोग इसे टीवी पर, 37.6 मोबाइल पर और बाकी रेडियो पर सुनते हैं। टीवी पर कार्यक्रम को सुनने वाले लोगों में 62 प्रतिशत 19 से 34 साल की उम्र के हैं।