प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज नए संसद भवन का उद्घाटन किया। त्रिकोण आकार में बनी इस इमारत को देश के हर राज्य और प्रदेश से लाई गई निर्माण सामग्री से तैयार किया गया है। नए संसद भवन में वास्तु का खास ध्यान रखा गया है, प्रवेश द्वार पर वास्तु के अनुसार लगाई गई हैं जानवरों की मूर्तियां। उत्तर प्रदेश के मीरजापुर की कालीन, त्रिपुरा के बांस से बने फर्श और राजस्थान के पत्थर से नक्काशी कई गई है। यह नई इमारत भारत की संस्कृतिक विविधता को दिखाती है।
लोकसभा और राज्यसभा की दीर्घाओं सहित छह गेट और अन्य सार्जवनिक जगहों पर इन्हें लगाया गया है। मामले की जानकारी रखने वाले एक अधिकारी ने बताया कि कलाकृति का प्रत्येक टुकड़ा अनगिनत कहानियां बयां करता है। इन कहानियों में जान फूंकने के लिए देश भर के कलाकारों ने सहयोग किया है।
वास्तु के अनुसार प्रवेश द्वारा पर लगाई गई है जानवर की मूर्ति
हर प्रवेश द्वारा पर वास्तु के अनुसार जानवर की मूर्ति लगाई गई है। उत्तर के औपचारिक प्रवेश द्वार पर हाथी की मूर्ति है। हाथी ज्ञान, धन, बुद्धि और स्मृति का प्रतीक है। वास्तु शास्त्र के अनुसार उत्तर दिशा बुध से जुड़ी है जो गहन ज्ञान का स्रोत है। दक्षिणी द्वार पर घोड़े की मूर्ति है। घोड़ा धीरज, शक्ति और गति के गुणों का दिखाता है। यह अक्सर राजशाही से जुड़ा होता है। गरुड़ पूर्वी द्वार की रखवाली करता है। यह लोगों की आकांक्षाओं का प्रतीक है। वास्तु शास्त्र में पूर्व को उगते सूरज से जोड़ा गया है। यह सफलता का प्रतीक है।
https://twitter.com/abhijitmajumder/status/1662687491642761216?t=PdyxUiphW0WAfw7qIyoJxw&s=19
उत्तर-पूर्वी दिशा में प्रवेश द्वार पर हंस की मूर्ति है। हंस सावधानी और ज्ञान से जुड़ा है। शेष प्रवेश द्वारों पर मकरा और विभिन्न जानवरों के अंगों से बना एक पौराणिक जलीय राक्षस की मूर्ति है। यह विविधता में सद्भाव का प्रतीक है।
संसद भवन की सजावट के लिए एक हजार से अधिक कारीगरों और कलाकारों के काम किया है। संसद में देश के सभी कोनों से स्वदेशी और जमीनी कलाकारों की कला को स्थान देने की कोशिश की गई है।
राजस्थान के सरमथुरा से लाया गया है पत्थर
नए भवन में इस्तेमाल की गई सागौन की लकड़ी महाराष्ट्र के नागपुर से लाई गई थी, जबकि लाल और सफेद बलुआ पत्थर राजस्थान के सरमथुरा से लाया गया था। खास बात है कि लाल किले और हुमायूं के मकबरे के लिए बलुआ पत्थर भी सरमथुरा से ही लाया गया था। केसरिया हरा पत्थर उदयपुर से, अजमेर के पास लाखा से लाल ग्रेनाइट और सफेद संगमरमर अंबाजी राजस्थान से मंगवाया गया है।
लोकसभा और राज्यसभा कक्षों में ‘फॉल्स सीलिंग’ के लिए स्टील की संरचना केंद्र शासित प्रदेश दमन और दीव से मंगाई गई है, जबकि फर्नीचर मुंबई में तैयार किया गया था। इमारत पर लगे पत्थर की ‘जाली’ राजस्थान के राजनगर और उत्तर प्रदेश के नोएडा से मंगवाई गई थी।
https://twitter.com/amitmalviya/status/1662741334329905153?t=iHIHg4ns2tr6zQB4dpQHhQ&s=19
महाराष्ट्र से आई अशोक स्तंभ की सामग्री
संसद में लगे अशोक चिह्न के लिए सामग्री महाराष्ट्र के औरंगाबाद और राजस्थान के जयपुर से लाई गई थी, जबकि इसके बाहरी हिस्सों में लगी सामग्री को मध्य प्रदेश के इंदौर से खरीदा गया था। पत्थर की नक्काशी का काम आबू रोड और उदयपुर के मूर्तिकारों ने किया है। पत्थरों को कोटपूतली, राजस्थान से लाया गया था। नए संसद भवन में निर्माण गतिविधियों के लिए ठोस मिश्रण बनाने के लिए हरियाणा में चरखी दादरी से निर्मित रेत या ‘एम-रेत’ का इस्तेमाल किया गया।