देश को नया संसद भवन मिल चुका है। पीएम मोदी ने पूरे विधि-विधान से इसका उद्घाटन किया। नए भवन में लोकसभा में 888 और राज्यसभा में 384 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था है। नई संसद को लेकर देश में राजनीति भी खूब हुई। लगभग पूरे विपक्ष ने नई संसद के उद्घाटन के मौके से किनारा कर लिया है।
वरिष्ठ अधिवक्ता और राज्यसभा के सांसद महेश जेठमलानी ने एक निजी न्यूज़ चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा कि जहाँ तक विचारधारा का सवाल है, यहाँ विचारधारा क्या है? यह इतिहास का सवाल है। सेंगोल शक्ति परिवर्तन का प्रतीक है। पीएम मोदी ने उन्हें एकजुट होने का आह्वान किया और उन्होंने पूछा कि यह राजनीति के बारे में नहीं है, बल्कि विपक्ष इस तकनीकी मुद्दे पर खड़ा है कि नए संसद भवन का उद्घाटन कौन करे।
एक आदमी जिसके पास कोई पावर नहीं है कोई संवैधानिक पद नहीं है वो कई बिल्डिंग, लाइब्रेरी का उद्घाटन कर रहा है कई मौके पर। उसने किस हैसियत से यह सब उद्घाटन किया। कांग्रेस पार्टी के द्वारा यह पूरा वाक़या हंसने योग्य है। ना ही विचारधारा, ना ही संविधान कारण हो सकता है। संविधान में साफ है कि उद्घाटन के अधिकार के बारे में कहीं बात नहीं की गई है।
कोई ऐसा कानून नहीं है कि नए पार्लियामेंट बिल्डिंग या किसी और बिल्डिंग का उद्घाटन राष्ट्रपति, राज्यपाल या उपराज्यपाल से ही होगा। ऐसा कोई कानून नहीं है। आप ऐसी बात रख रहे हैं जिसका कोई मतलब ही नहीं है कोई कानून ही नहीं है। सेंगोल सत्ता परिवर्तन का सिम्बल था। यह रिकॉर्ड पर है, अधीनम ने भी कहा है। यह सब रिकॉर्ड पर है।