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नहीं थम रहा ममता बनर्जी और अश्विनी वैष्णव के बीच जुबानी जंग; रेल मंत्री ने कहा- दुर्घटना का कवच से लेना-देना नहीं

ओडिशा में हुए विनाशकारी ट्रेन हादसे को लेकर रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री एवं पूर्व रेल मंत्री ममता बनर्जी के बीच जुबानी जंग थमने का नाम नहीं ले रहा है। कवच पर ममता बनर्जी की टिप्पणी की आलोचना करते हुए रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने रविवार को कहा कि इसका कवच से कोई लेना-देना नहीं है। कारण वह नहीं है जो ममता बनर्जी ने कल कहा था। यह घटना इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग में बदलाव के कारण हुई। उन्होंने कहा कि वह चाहते हैं कि बहाली का काम जल्द से जल्द पूरा किया जाए।

इससे पहले शनिवार को ममता बनर्जी और रेल मंत्री मीडिया से बात करते हुए भयानक ट्रेन दुर्घटना में मरने वालों की संख्या पर असहमत दिखे थे। दरअसल बालासोर में दुघर्टनास्थल का जायजा लेने पहुंचीं ममता बनर्जी ने यहां 500 से ज्यादा यात्रियों की मौत होने की आशंका ताई। हालांकि, उनके पास में ही मौजूद रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने उनके इस दावे पर तुरंत आपत्ति जताते हुए साफ किया कि मरने वालों की संख्या 238 (उस समय) की पुष्टि हुई है।

ममता बनर्जी ने शनिवार को पत्रकारों से बातचीत में कहा कि इस घटना की अच्छी तरह जांच होनी चाहिए। इतने लोगों की जिंदगी चली गई। मैं तो सुना है कि इसमें (मृतकों की संख्या) 500 भी हो सकता है। इस बयान पर वहीं मौजूद रेल मंत्री ने उन्हें बीच में ही टोकते हुए कहा कि अभी तक 238 लोगों की मौत की आधिकारिक रूप से पुष्टि हुई है।

रेल दुर्घटना के करीब 300 पीड़ितों को मुआवजा दिया गया है। दुर्घटनास्थल पर पत्रकारों से बातचीत में वैष्णव ने कहा कि मरम्मत काम युद्धस्तर पर किया जा रहा है और एक मुख्य लाइन पर पटरियां पहले ही बिछाई जा चुकी हैं। वैष्णव ने कहा कि हमने सभी संसाधनों को काम पर लगाया है। मैं यह भी कहना चाहता हूं कि कवच सिस्टम का इस दुर्घटना से कोई संबंध नहीं है। यह हादसा इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम में बदलाव की वजह से हुआ। ममता बनर्जी की टिप्पणी सही नहीं है।

ममता बनर्जी ने आज प्रेस कांफ्रेंस कर कहा कि कल मेरे साथ रेल मंत्री और धर्मेंद्र प्रधान दोनों खड़े थे लेकिन मैंने कुछ नहीं कहा, मैं बहुत कुछ कह सकती थी क्योंकि मैं खुद रेल मंत्री रही हूं। कोरोमंडल एक्सप्रेस और बेंगलुरु-हावड़ा एक्सप्रेस में एंटी कोलिशन डिवाइस क्यों नहीं था? रेलवे को सिर्फ बेचने के लिए छोड़ दिया है।

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