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नेहरू-गांधी परिवार के अलावा प्रधानमंत्री के नाम पर योजनाएं क्यों नहीं? प्रदीप भंडारी ने पूछा कांग्रेस से तीखा सवाल

दिल्ली स्थित नेहरू मेमोरियल का नाम बदल दिया गया है। अब नेहरू मेमोरियल को पीएम मेमोरियल के नाम से जाना जाएगा। नाम बदलने पर कांग्रेस ने सरकार पर हमला बोला है। कांग्रेस ने कहा है कि नाम में बदलाव प्रतिशोध और संकीर्णता का नतीजा है। नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी को अब प्रधानमंत्री म्यूजियम एंड सोसाइटी के नाम से जाना जाएगा।

ये पहली बार नहीं है, जब इस तरह से किसी स्थान का नाम बदला गया है। पिछले नौ साल में कई सरकारी योजनाएं, प्रतीक, स्थान, सड़क और पुरस्कारों के नाम भी बदले जा चुके हैं। पिछले साल ही इंडिया गेट पर अमर जवान ज्योति की जगह केंद्र सरकार ने सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा लगवाई। यही नहीं, भाजपा शासित राज्यों में कई जिलों के नाम भी बदल गए हैं।

जन की बात के फाउंडर प्रदीप भंडारी ने ट्वीट कर बताया कि कैसे 990 से अधिक योजनाओं, यूनिवर्सिटी, एयरपोर्ट आदि के नाम केवल नेहरू परिवार के नाम पर ही रखा गया जबकि कांग्रेस के शासन में इसका 1 प्रतिशत भी नेहरू परिवार के बाहर के प्रधानमंत्री या नेताओं के नाम पर नहीं रखा गया।

प्रदीप भंडारी ने ट्वीट कर कहा कि 990 योजनाओं, विश्वविद्यालयों, हवाई अड्डों, बंदरगाहों, छात्रवृत्तियों, अस्पतालों आदि का नाम नेहरू परिवार के नाम पर रखा गया है, जबकि इसका एक अंश भी गैर-वंशवादी प्रधानमंत्रियों के नाम पर नहीं रखा गया है।

कांग्रेस में परिवार के वफादार और उनके चाटुकार इतिहासकार परेशान हैं क्योंकि अन्य सभी भारतीय प्रधानमंत्रियों के योगदान को नजरअंदाज करने और खारिज करने की उनकी कोशिश को पीएम नरेंद्र मोदी ने रोक दिया है। वे दिन गए जब एक परिवार का एकाधिकार 130 करोड़ भारतीयों के भाग्य का फैसला करता था।

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