बीजेपी ने गोरखपुर स्थित प्रसिद्ध गीता प्रेस को वर्ष 2021 के लिए गांधी शांति पुरस्कार प्रदान किए जाने की घोषणा की आलोचना करने को लेकर सोमवार को कांग्रेस को आड़े हाथों लिया। बीजेपी ने आरोप लगाया कि विपक्षी पार्टी गीता प्रेस से इसलिए नफरत करती है क्योंकि वह सनातन का संदेश फैला रहा है।
बताते चलें कि कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि गीता प्रेस को गांधी शांति पुरस्कार देना सावरकर और गोडसे को पुरस्कृत करने जैसा है। उन्होंने कहा ये सम्मान नहीं, ये उपद्रव जैसा कदम है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज सुबह ट्वीट किया, “मैं गीता प्रेस, गोरखपुर को गांधी शांति पुरस्कार 2021 से सम्मानित किए जाने पर बधाई देता हूं। उन्होंने लोगों के बीच सामाजिक और सांस्कृतिक परिवर्तन को आगे बढ़ाने की दिशा में पिछले 100 वर्षों में सराहनीय काम किया है।”
पीएम की अगुवाई वाली ज्यूरी कमेटी का मानना है कि अहिंसा और गांधीवादी तरीकों से इस प्रेस ने सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक बदलावों में बड़ा योगदान दिया है। कांग्रेस नेता ने अक्षय मुकुल कि लिखित ‘गीता प्रेस एंड द मेकिंग ऑफ हिंदू इंडिया’ किताब का कवर पेज शेयर किया है।
गृह मंत्री अमित शाह ने एक ट्वीट में कहा, ‘‘भारत की गौरवशाली प्राचीन सनातन संस्कृति और आधार ग्रंथों को अगर आज सुलभता से पढ़ा जा सकता है, तो इसमें गीता प्रेस का अतुलनीय योगदान है। 100 वर्षों से अधिक समय से गीता प्रेस रामचरितमानस से लेकर श्रीमद्भगवद्गीता जैसे कई पवित्र ग्रंथों को नि:स्वार्थ भाव से जन-जन तक पहुंचाने का अद्भुत कार्य कर रहा है।’’
वहीं भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा ने एक ट्वीट में कहा, ‘‘गीता प्रेस, गोरखपुर को ‘गांधी शांति पुरस्कार- 2021’ से सम्मानित किए जाने पर हार्दिक बधाई व शुभकामनाएं देता हूँ। भारत की गौरवशाली सनातन संस्कृति के संरक्षण व उत्कर्ष में पिछले 100 वर्षों का आपका योगदान प्रशंसनीय है। हमारे पवित्र ग्रंथों का वैश्विक प्रसार कर जो निःस्वार्थ सेवा आपने की है यह हम सभी के लिए प्रेरणास्रोत है।’’
असम सीएम हेमंत विश्वकर्मा ने एक ट्वीट में कहा, ‘‘गीता प्रेस को अगर ‘एक्सवाईजेड प्रेस’ कहा जाता तो वे इसकी सराहना करते… लेकिन चूंकि यह गीता है, इसलिए कांग्रेस को समस्या है।’’