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एमपी के लालपुर में पीएम मोदी ने दी रानी दुर्गावती को श्रद्धांजलि, कौन थीं रानी दुर्गावती? जानिए उनके जीवन की 10 बड़ी बातें

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लालपुर में आयोजित वीरांगना रानी दुर्गावती बलिदान दिवस समारोह में उनकी प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर नमन किया। इसके बाद प्रधानमंत्री मोदी ने लालपुर में एक जनसभा को संबोधित किया। प्रधानमंत्री मोदी ने लालपुर में राष्ट्रीय सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन मिशन एवं 3.5 करोड़ पीवीसी आयुष्मान वितरण कार्यक्रम का शुभारंभ किया।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आज मुझे रानी दुर्गावती जी की इस पावन धरती पर आप सभी के बीच आने का सौभाग्य मिला है। मैं रानी दुर्गावती जी के चरणों में अपनी श्रद्धांजलि समर्पित करता हूं। उनकी प्रेरणा से आज सिकल सेल एनीमिया मुक्ति मिशन अभियान की शुरुआत हो रही है।

रानी दुर्गावती के जीवन की 10 बड़ी बातें
1. रानी दुर्गावती भारत की एक प्रसिद्ध वीरांगना थीं, जिन्होंने मध्यप्रदेश में शासन किया। दुर्गावती का जन्म 5 अक्टूबर 1524 में हुआ था। उनका राज्य गोंडवाना में था।

2. बांदा जिले के कालिंजर किले में 1524 ईसवी की दुर्गाष्टमी पर जन्म के कारण ही उनका नाम दुर्गावती रखा गया। नाम के अनुरूप ही वह तेज, साहस, शौर्य और सुंदरता के कारण इनकी प्रसिद्धि सब ओर फैल गई।

3. महारानी दुर्गावती कालिंजर के राजा कीर्तिसिंह चंदेल की एकमात्र संतान थीं। राजा संग्राम शाह के पुत्र दलपत शाह से उनका विवाह हुआ था।

4. दुर्भाग्यवश विवाह के 4 वर्ष बाद ही राजा दलपतशाह का निधन हो गया। उस समय दुर्गावती का पुत्र नारायण 3 वर्ष का ही था अतः रानी ने स्वयं ही गढ़मंडला का शासन संभाल लिया। वर्तमान जबलपुर उनके राज्य का केंद्र था।

5. सूबेदार बाजबहादुर ने भी रानी दुर्गावती पर बुरी नजर डाली थी लेकिन उसको मुंह की खानी पड़ी। दूसरी बार के युद्ध में दुर्गावती ने उसकी पूरी सेना का सफाया कर दिया और फिर वह कभी पलटकर नहीं आया।

6. दुर्गावती ने तीनों मुस्लिम राज्यों को बार-बार युद्ध में परास्त किया। पराजित मुस्लिम राज्य इतने भयभीत हुए कि उन्होंने गोंडवाने की ओर झांकना भी बंद कर दिया। इन तीनों राज्यों की विजय में दुर्गावती को अपार संपत्ति हाथ लगी।

7. दुर्गावती बड़ी वीर थी। उसे कभी पता चल जाता था कि अमुक स्थान पर शेर दिखाई दिया है, तो वह शस्त्र उठा तुरंत शेर का शिकार करने चल देती और जब तक उसे मार नहीं लेती, पानी भी नहीं पीती थीं।

8. दूसरी बार के युद्ध में दुर्गावती ने उसकी पूरी सेना का सफाया कर दिया और फिर वह कभी पलटकर नहीं आया। महारानी ने 16 वर्ष तक राज संभाला। इस दौरान उन्होंने अनेक मंदिर, मठ, कुएं, बावड़ी तथा धर्मशालाएं बनवाईं।

9. वीरांगना महारानी दुर्गावती साक्षात दुर्गा थी। इस वीरतापूर्ण चरित्र वाली रानी ने अंत समय निकट जानकर अपनी कटार स्वयं ही अपने सीने में मारकर आत्म बलिदान के पथ पर बढ़ गईं।

10. ये रानी दुर्गावती का पराक्रम था कि उन्होंने अकबर के जुल्म के आगे झुकने से इंकार कर स्वतंत्रता और अस्मिता के लिए युद्ध भूमि को चुना और अनेक बार शत्रुओं को पराजित करते हुए 1564 में बलिदान दे दिया। रानी दुर्गावती का नाम भारत की महानतम वीरांगनाओं की सबसे अग्रिम पंक्ति में आता है।

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Vipin Srivastava
Vipin Srivastava
journalist, writer @jankibaat1

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