पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव के दिन जारी भीषण हिंसा पर राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने शनिवार को कहा कि चुनाव गोलियों से नहीं बल्कि मतपत्रों से होने चाहिए और कहा कि इस दिन को लोकतंत्र के लिए सबसे पवित्र माना जाना चाहिए। राज्य के अलग-अलग जिलों से हिंसा की कई घटनाएं सामने आई हैं।
पूरे पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव को शांति से कराने के लिए लगभग 65,000 केंद्रीय पुलिस कर्मियों और 70,000 राज्य पुलिस कर्मियों को तैनात किया गया है। इसके बावजूद हिंसा थम नहीं रही है। पंचायत चुनाव से पहले मुर्शिदाबाद के शमशेरगंज इलाके में टीएमसी और कांग्रेस कार्यकर्ताओं के बीच झड़प हो गई। पुलिस मौके पर मौजूद है। हिंसा को देखते हुए गुरुवार को कलकत्ता हाईकोर्ट ने एक निर्देश जारी किया। जिसमें कहा गया कि 11 जुलाई को पंचायत चुनाव के नतीजे घोषित होने के बाद भी 10 दिनों तक केंद्रीय बल पूरे पश्चिम बंगाल में तैनात रहेंगे। बड़े पैमाने पर जिन इलाकों में हिंसा हुई है, उनमें भांगर, मुर्शिदाबाद, कूचबिहार, बसंती, नंदीग्राम और बीरभूम शामिल हैं।
कल रात से अब तक 10 राजनीतिक हत्याएं। चुनाव के ऐलान के बाद से कुल 29 हत्याएं हो चुकी है। पश्चिम बंगाल के पंचायत चुनाव में 1 बजे तक 37 प्रतिशत मतदान हुआ है। राज्य में अलग-अलग जगहों पर हिंसा जारी है।
वहीं केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने भुवनेश्वर में कहा कि पश्चिम बंगाल में पूरी व्यवस्था असंवैधानिक कामों में लग चुकी है। वहां की सरकार ना तो राज्यपाल के आदेश का सम्मान करती है और ना ही हाई कोर्ट के आदेश का, जब स्थानीय पुलिस और प्रशासन खुद ही पक्षपाती हो जाए और राजनीतिक दृष्टि से काम करे तो इसे संवैधानिक व्यवस्था नहीं कहा जाता है। लोकतंत्र में हिंसा के लिए कोई स्थान नहीं है मगर वहां की सरकार जनाधार खो चुकी है और इसी डर में वो हिंसक प्रवृत्ति अपना रहे हैं।