प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 14 जुलाई को फ्रांस में इस साल के बैस्टिल डे परेड में शामिल होंगे। पीएम मोदी इस वर्ष फ्रांस की बैस्टिल डे परेड के गेस्ट ऑफ ऑनर होंगे। भारत के विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को इस बात की घोषणा की। विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि भारतीय सशस्त्र बलों की टुकड़ी भी अपने फ्रांसीसी समकक्षों के साथ परेड में भाग लेगी।
विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि भारत-फ्रांस रणनीतिक साझेदारी की 25वीं वर्षगांठ के अवसर पर, प्रधानमंत्री मोदी ने इस वर्ष के बैस्टिल डे परेड में अतिथि के रूप में भाग लेने के लिए फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन के निमंत्रण को स्वीकार कर लिया है।
क्यों महत्वपूर्ण है बैस्टील डे?
हर साल 14 जुलाई को मनाए जाने वाले बैस्टिल डे को फ्रांस का नेशनल डे भी कहा जाता है। इस दिन फ्रांस में सामूहिक रूप से छुट्टी होती है और पूरा देश जश्न के माहौल में डूबा होता है। इस दिन सरकार की ओर से शानदार सैन्य परेड और आतिशबाजी का भी आयोजन किया जाता है। हर साल परेड को देखने के लिए काफी संख्या में लोग देश-विदेश से बैस्टिल दिवस समारोह में शामिल होते हैं।
फ्रांस में 14 जुलाई 1789 को विद्रोह के दौरान बैस्टिल जेल पर हमले की याद में बैस्टिल डे मनाया जाता है। उस समय फ्रांसीसी क्रांति आग की तरह फैल रही थी। प्रदर्शन कर रही गुस्साई भीड़ ने बैस्टिल जेल पर धावा बोलकर अपने कुछ साथियों को छुड़ा लिया था। इस घटना ने फ्रांसीसी क्रांति को और हवा देने का काम किया था। इसी वजह से फ्रांस में यह दिन काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। यह दिन खुशी और उत्साह के साथ मनाया जाता है।
क्यों खास है बैस्टिल डे परेड?
14 जुलाई, 1880 में पैरिस में पहली बार बैस्टिल डे सैन्य परेड का आयोजन किया गया था। जिसके बाद से हर साल फ्रांस में बैस्टिल डे सैन्य परेड का आयोजन किया जाता है। जिसमें राष्ट्रपति समेत फ्रांस के सभी गणमान्य लोग वहां उपस्थित रहते हैं। परेड में करीब साढ़े 9 हजार सैनिक शामिल होते हैं। जिनमें 7800 सैनिक पैदल तो बाकी सैनिक गाड़ी, घोड़ों या सैन्य विमानों में सवार होकर परेड में शामिल होते हैं।
साल 1880 के बाद से लगातार चल रही बैस्टिल डे सैन्य परेड का आयोजन आज तक सिर्फ दो बार नहीं हो पाया है। पहली बार साल 1940-1944 के दौरान वर्ल्ड वार 2 की वजह से इस परेड का आयोजन नहीं हो पाया था। वहीं दूसरी बार, साल 2020 में कोरोना वायरस की वजह से परेड कैंसिल कर दी गई थी। हालांकि, आतिशाबाजी तो की गई थी, लेकिन उसमें आम जनता को शामिल नहीं किया गया था। हालांकि, उसकी जगह कोरोना काल में अपनी जान पर खेलकर दूसरों की सेवा कर रहे हेल्थकेयर वर्कर्स समेत अन्य कोरोना वारियर्स के लिए छोटा समारोह आयोजित किया गया था।