भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) चार साल बाद एक बार फिर से शुक्रवार को पृथ्वी के इकलौते उपग्रह चांद पर चंद्रयान पहुंचाने के अपने तीसरे अभियान के लिए तैयार है। इसरो का चांद पर यान को ‘‘सॉफ्ट लैंडिंग” कराने यानी सुरक्षित तरीके से यान उतारने का यह मिशन अगर सफल हो जाता है तो भारत उन चुनिंदा देशों की सूची में शामिल हो जाएगा, जो ऐसा कर पाने में सक्षम हुए हैं।
अंतरिक्ष संस्थान ने कहा कि चंद्रयान-3, तीसरा चंद्र अन्वेषण मिशन है, जो एलवीएम 3 प्रक्षेपक के चौथे परिचालन मिशन (एम4) में रवानगी के लिए पूरी तरह से तैयार है। इसरो अपने चंद्र मॉड्यूल से चांद की सतह पर सॉफ्ट-लैंडिंग कर उसकी जमीन पर चहलकदमी का प्रदर्शन कर नई ऊंचाइयों को छूने जा रहा है।
बताते चलें कि चंद्रयान-2, 2019 में चांद की सतह पर सुरक्षित तरीके से उतरने में विफल रहा था. इससे इसरो का दल निराश हो गया था। तब भावुक हुए तत्कालीन इसरो प्रमुख के सिवान को गले लगाकर ढांढस बंधाते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तस्वीरें आज भी लोगों को याद हैं।
चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग से पहले चंद्रमा लैंडर विक्रम को जीएसएलवी मार्क 3 हेवी लिफ्ट लॉन्च वाहन, जिसे बाहुबली रॉकेट कहा जाता है, पर रखा जाएगा। इसे लॉन्च व्हीकल मार्क 3 (एलएम-3) नाम दिया गया है। जीएसएलवी 43.5 मीटर ऊंचा है। यानी इसकी ऊंचाई दिल्ली में स्थित कुतुब मीनार से भी ज्यादा है। चंद्रयान-3 लॉन्चिंग के 40 दिन बाद यानी 23 अगस्त को चांद की सतह पर उतरेगा।