कनाडा में बीते सोमवार को खालिस्तानियों ने भारतीय दूतावासों के बाहर प्रदर्शन का आयोजन किया। पिछले हफ्ते देश के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने भारत पर खालिस्तानी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के आरोप लगाए थे। भारत की तरफ से ट्रूडो के आरोपों को पूरी तरह से बेबुनियाद और बेतुका करार दिया गया था। इसके बाद भारत सरकार ने खालिस्तानियों के खिलाफ एक्शन लिया।
खालिस्तानी इस कार्रवाई से ही बौखलाए हुए हैं। इसी बौखलाहट में उन्होंने कनाडा के मुख्य शहरों में स्थित भारतीय राजनयिक मिशनों के बाहर विरोध प्रदर्शन करने की अपील की थी। ट्रूडो ने पिछले दिनों भारत पर उस समय आरोप लगाए जब निज्जर की हत्या की जांच जारी थी।
सोमवार को हुए प्रदर्शनों को सिख फॉर जस्टिस की तरफ से आयोजित किया गया था। कनाडा के प्रमुख शहरों टोरंटो, ओटावा और वैंकूवर में भारतीय दूतावासों और वाणिज्य दूतावासों के बाहर ये विरोध प्रदर्शन किए गए। लेकिन जो जानकारी सामने आ रही है, उसके मुताबिक इन प्रदर्शनों कनाडा में बसे बहुत कम सिखों का समर्थन मिला। जबकि एसएफजे की तरफ से दावा किया गया था प्रदर्शनों में हजारों खालिस्तानी जुटेंगे।
राजधानी ओटावा में मुश्किल से 30 से 40 खालिस्तानी ही इकट्ठा हुए। वहीं वैंकुवर में भी मुट्ठी भर खालिस्तानी मौजूद थे। यहां पर बताया जा रहा है कि 50 से 60 के बीच में खालिस्तानी इकट्ठा थे। वैंकूवर में भारतीय वाणिज्य दूतावास के बाहर खालिस्तानियों ने भारतीय तिरंगे को फाड़ दिया।
बताते चलें कि ट्रूडों के आरोपों के बाद दोनों देशों के बीच तनाव पैदा हो गया है। कनाडा और भारत ने राजनयिकों को निकाल दिया है। साथ ही भारत ने कनाडा के नागरिकों के लिए वीजा भी सस्पेंड कर दिया है। 18 जून को निज्जर की हत्या कर दी गई थी। निज्जर सन् 1990 के दशक फर्जी पासपोर्ट के आधार पर कनाडा गया था। वह यहां पर प्लंबर का काम करता था। निज्जर पिछले काफी सालों से पंजाब को भारत से अलग करने की खालिस्तानी मुहिम को आगे बढ़ा रहा था। भारत ने जुलाई 2020 में निज्जर को ‘आतंकवादी’ घोषित कर दिया था। कनाडा में सिखों की आबादी करी 770000 है। यह देश पिछले कई सालों से ऐसे प्रदर्शनों का स्थल रहा है जिसकी वजह से भारत की परेशानियां बढ़ गई हैं।