भारत सरकार के मंत्रालय की तरफ से प्रेस रिलीज के मुताबिक 2016 में शुरू की गई इस योजना ते तहत बहुत सारी महिलाओं को इसका लाभ मिला है। जिसमें उन्हें खाना पकाने से लेकर ईंधन तक पहुंच प्रदान करती हैं। साथ ही स्वस्थ और अधिक सुविधाजनक रसोई प्रथाओं के एक नए युग की शुरुआत करती है।
बताते चलें कि पहले गांवों की महिलाएं मिट्टी के चूल्हे पर खाना पकाती थी, मिट्टी के तेल वाले स्टोव पर खाना पकाती थी। मिट्टी चूल्हे पर खाना बनाने में टाइम बहुत लगता था, और ऊपर से बारिश हो जाए तो लकड़ी गीले हो जाते थे, आंखों में धुएं से जलन होती थी और कई तरह के आंखों की बीमारी लग जाती थी।
लोहे के स्टोव पर खाना बनता था तो मिट्टी तेल के लिए लाइन में लगना पड़ता था, महिलाओं की जिंदगी, चूल्हे से शुरू और चिता पर खत्म हो जाती है। इस कड़वी सच्चाई से सरकारों ने लगभग 70 साल तक मुंह मोड़ रखा था और किसी पार्टी ने कभी इस बारे में चर्चा ही नहीं की, क्योंकि किसी को समाधान नहीं सूझ रहा था।
1 मई 2016 इसी तारीख को मोदी उज्ज्वला योजना लॉन्च किया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मौके पर कहा कि चूल्हे पर खाना बनाने की पीड़ा भुगत कर आया हूं और अब हमारे देश की महिलाओं को इन समस्याओं से दूर करने का समय आ गया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पहले सरकार और सियासत में रसोई गैस सिलेंडर पैसा और पावर से जुड़ा विशेषाधिकार माना जाता था, जिसे प्रधानमंत्री मोदी ने ग़रीबों को अधिकार के तौर पर सौंप दिया, यह बहुत बड़ी और सफल पहल मानी जा रही है।