कोरोना वायरस के वायरस के संकट के कारण केंद्र सरकार को देश में 70 दिन से अधिक का लॉकडाउन करना पड़ा। जिससे देश में उद्योग धंधे बड़ी मात्रा में प्रभावित हुए है। कोरोना वायरस की मार को कम करने के लिए सरकार देश में आम जनता और उद्योगों को राहत देने के लिए 20 लाख करोड़ से भी अधिक का पैकेज दिया। जिसमें संकटग्रस्त MSMEs के लिए 20 हजार करोड़ रुपए और संपूर्ण MSMEs सेक्टर के लिए 3 लाख करोड़ रुपए के लोन का प्रावधान किया। यह पैसा MSMEs उद्योगों को बैंकों द्वारा लोन के रूप में दिया जाएगा।
सरकार अब अच्छी अवस्था में चल रहे MSMEs उद्योगों के विकास के लिए एक नई स्कीम लेकर आई है। जिसमें सरकार MSMEs उद्योगों में 10 फ़ीसदी की हिस्सेदारी लेगी। इस स्कीम का लाभ उन्हीं MSMEs कों मिलेगा जो शेयर बाजार में लिस्ट होना चाहती है। इसके लिए वित्त मंत्रालय ने केंद्र सरकार से इस स्कीम के संचालन के लिए 10 हजार करोड़ रुपए के फंड की भी मांग की है।
सरकार का अनुमान यह फंड अगले 2-3 साल में 3 से 4 लाख करोड़ रुपए का हो जाएगा। उदाहरण के लिए यदि आज सरकार किसी MSMEs कंपनी में 10% हिस्सेदारी खरीदती है। आज उसके एक शेयर की कीमत ₹100 है। तो शेयर बाजार में लिस्ट होने के बाद समय के साथ कंपनी का व्यापार बढ़ेगा तो शेयर की कीमत ₹500 हो जाएगी। जिस पैसे का इस्तेमाल सरकार आने वाले समय में अन्य MSMEs को प्रोत्साहित करने में लगाएगी।
क्या होगे फायदे?
शेयर बाजार में लिस्ट होने से MSMEs को छोटे निवेशकों का साथ मिलेगा। इसके साथ कंपनियों के कामकाज में पारदर्शिता भी आएगी। कंपनियों के शेयर मार्केट में लिस्ट होने के साथ ही बैंकों से लोन लेने में भी अनलिस्टेड कंपनियों की अपेक्षा आसानी रहेगी।
कड़ी शर्तों के साथ पैसा दिया जाएगा
सरकार का साफ कहना है कि सरकार कंपनियों में 10% हिस्सेदारी लेने से पहले, कंपनियों की बैलेंस शीट की शक्ति से जांच करेगी। केवल अच्छी MSMEs में हिस्सेदारी ली जाएगी।
शेयर बाजार में नाम से एक सूचकांक भी उपलब्ध है। जिसमें शेयर बाजार में 300 से अधिक MSMEs लिस्टेड है। इनमे से 70 से अधिक कंपनियां मुख्य सूचकांक में भी जा चुकी है।
देश ने वर्तमान में 6 करोड़ 33 लाख से अधिक रजिस्टर्ड एमएसएमई देश में उपलब्ध है। जो देश में 21% से अधिक लोगों को रोजगार मुहैया कराती है। देश में कुल औद्योगिक उत्पादन का 45% हिस्सा भी MSMEs से ही आता है।