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क्या है अस्थाई सुरक्षा परिषद, जिसमें भारत हो सकता है फिर शामिल

अस्थाई सुरक्षा परिषद(Security Council) जिसमें भारत के शामिल होने की खबर आई है। इस परिषद में शामिल होने वाला चुनाव स्थगित कर दिए गए थे, कोरोना वायरस को देखते हुए। जो अब 17 जुलाई को होना है।

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में कुल 15 सदस्य होते हैं, जिनमें से 5 स्थाई और 10 अस्थाई देश सुरक्षा परिषद में शामिल होते हैं। सिर्फ 10 अस्थाई देशो के लिये हर साल चुनाव होता है।

कहां और कैसे होता है चुनाव ?

अस्थाई सुरक्षा परिषद में 10 सदस्यों के लिए चुनाव कराए जाते हैं। जिसमें संयुक्त राष्ट्र में शामिल 193 देश हिस्सा लेते है। चुनाव बैलट पेपर द्वारा सम्पन कराए जाते हैं। हर साल चुनाव के माध्यम से 5 सदस्यों को चुना जाता है। वे देश अगले 2 साल तक इस अस्थाई सुरक्षा परिषद के सदस्य के रूप में काम करते हैं।

संयुक्त राष्ट्र का मुख्यालय अमेरिका के न्यूयॉर्क राज्य में स्थित है। वही अस्थाई सुरक्षा परिषद के चुनाव संपन्न किए जाते हैं। यहीं पर निश्चित समय और निश्चित जगह पर चुनाव प्रक्रिया संपन्न होती है। चुनाव से पहले हर सदस्य देश को इसकी सूचना दे दी जाती है, ताकि यहां आकर प्रक्रिया का जायजा ले सके।

ऐसा नहीं है कि कोई भी देश अपनी उम्मीदवारी इसमें भेज सकता है इसका भी एक तरीका है।
दुनिया के हर प्रांत से अस्थाई सुरक्षा परिषद के लिए निर्धारित सीट दिए गए हैं।

दुनिया में ऐसे हुआ है सीटों का बंटवारा

अफ्रीका और एशिया प्रान्त से 5 सदस्य, लैटिन अमेरिका से 2, पूर्वी यूरोप से 1 और पश्चिम यूरोप 2 जिसमे कनाडा भी शामिल है।

संयुक्त राष्ट्र का गठन 1945 में दूसरा विश्व युद्ध के खत्म होने के बाद हुआ था। दूसरा विश्व युद्ध जीतने वाले सदस्यों में शामिल अमेरिका, इंग्लैंड और फ्रांस इसके सबसे पहले सुरक्षा परिषद के स्थाई सदस्य बने साथ ही रूस जो विश्व युद्ध का मुख्य भागीदार था, उसे भी इस सुरक्षा परिषद में जगह मिली ही। साथ ही एशिया महाद्वीप में रूस के वर्चस्व को दवाए रखने के सोच से चाइना को भी इसमें सदस्यता दी गई। चीन के सदस्य बन्ने से जुड़ी कई और भी बाते हैं।

इन 5 सदस्यों की जिम्मेदारी है विश्व सुरक्षा से जुड़े फैसले और योगदान का ढांचा तैयार करना। साथ ही इन्हें वीटो पावर दिया गया है जो विश्व सुरक्षा से जुड़े फैसलों को लेकर किए जाने वाले चुनाव में इस्तेमाल किए जाते हैं। यह पांच देश गैर-प्रसार संधि एन.पी.टी(NPT-Non-Proliferation Treaty of Nuclear) देख-रेख करते हैं। जिसके तहत इन्हीं 5 देशों को न्यूक्लियर बम रखने की इजाजत है।

अस्थाई सुरक्षा परिषद में भारत को लेकर क्या है इतिहास ?

भारत कुल 7 बार अस्थाई सदस्य के रूप में शामिल हो चुका है। भारत 1950, 1967, 1972, 1977, 1985, 1991, 2011 इन सालो में 2-2 साल के लिए सदस्य के तौर पर शामिल हो चुका है।

उम्मीदवार के तौर पर भारत का इस बार अस्थाई सुरक्षा परिषद के सदस्य के रूप में चुनना तय है।

भारत एशिया महादीप से एकलौता उम्मीदवार है, साथ मेक्सिको भी भारत की तरह एकलौता उम्मीदवार हैं। वही कनाडा, आयरलैंड और नोरवे 2 सीटो के लिए चुनाव लड़ेंगे। (Djibouti) जिबोटी और केन्या 1 सीट के लिए अफ्रीका प्रान्त से चुनाव लड़ रहे है।

ऐसे 50 के करीब देश है जो कभी भी अस्थाई सदस्य के रूप में शामिल नहीं हुए हैं क्योंकि सदस्य के रूप में शामिल होने के साथ-साथ कई जिम्मेदारियों को भी निभाना पड़ता है। जिनमें विश्व सुरक्षा और शांति स्थापना के लिए सेना और आर्थिक योगदान शामिल है। संयुक्त राष्ट्र में शामिल हर देश को अपने जी डी पी GDP के अनुसार एक रकम देनी पड़ती है।

सुरक्षा परिषद के सदस्य के तौर पर कार्य

भारत देश की सेना ऐसे कई देशों में नियुक्त है जहां उस देश की शांति के लिए, वह देश संयुक्त राष्ट्र पर निर्भर करता है। जिसमे अफ्रीका और एशिया के कई देश शामिल हैं। संयुक्त राष्ट्र के शांति स्थापना के तहत सबसे ज्यादा सैनिक अभी कांगो देश में नियुक्त हैं।

भारत अभी विश्व शांति स्थापना के तहत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा मैं दूसरा सबसे ज्यादा सेना देने वाला देश है। साथ ही महिला सुरक्षा बल मैं भी पूरा योगदान देता है।

भारत देश अपने जनसंख्या, आर्थिक विकास और सैनिक ताकत को लेकर संयुक्त राष्ट्र के स्थाई सदस्यता पाने के लिए सबसे बड़ा दावेदार रहा है।

 

UN Peacekeeping Force

UN Peacekeeping Force, Haiti

रूस और अमेरिका जैसे देश भी इसकी वकालत कर चुके अलग-अलग मौको पर। चीन यहाँ भी भारत के इस दावेदारी के खिलाफ बोलता आया है। चीन ये भूल जाता है कि भारत ही एशिया महादीप में पहला देश था जिसने चीन के स्थाई सदस्यता को लेकर साथ दिया था ।

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