भारत और चीन सीमा संघर्ष के बीच भारत के 20 जवान शहीद होने के बाद देश के अंदर चीनी उत्पादों को बॉयकट करने को लेकर एक अभियान चलाया जा रहा है। और स्वदेशी चीजों को अपनाया जा रहा है। इसके साथ ही देश की जनता के द्वारा चीनी ऐप्स को देश में बेन करने की मांग भी उठाई जा रही है। वहीं देश के प्रधानमंत्री आत्मनिर्भर भारत की बात कर चुके है। जिससे देश के अंदर उत्पादन को बढ़ाया जा सके और विदेशों पर निर्भरता कम की जा सके है।
वहीं दूसरी तरफ चीन भारतीय ऐप्स जैसे ओला, पेटीएम, सविगी, जोमटो, पॉलिसी बाज़ार, ड्रीम 11 जैसे बड़े भारतीय स्टार्टअप्स में जमकर पैसा लगा रहा है। अमेरिकी पत्रिका फोर्ब्स के अनुसार भारत के 16 बड़े स्टार्टअप्स में कम से कम एक चीनी निवेशक है। चाइना ग्लोबल इन्वेस्टमेंट ट्रैकर के मुताबिक मार्च 2007 से दिसंबर 2019 के बीच चीनी निवेशको ने भारत में लगभग 14.5 अरब डॉलर का निवेश किया। इसमें चौंकाने वाली बात यह है, चीन में इस दौरान लगभग 43 कंपनियों में निवेश किया। जिसमें से 23 ग्रीन फील्ड निवेश था। ( ग्रीन फील्ड निवेश उस निवेश को कहते है जहां पैरंट कंपनी दूसरे देश में जाकर अपनी सब्सिडियरी कंपनी खोलती है।) भारत में इसका सबसे बड़ा उदाहरण चीनी कम्पनी बीबीके इलेक्ट्रॉनिक्स का realme ब्रांड है। जिसे इन दिनों रियलमी के सीईओ भारत के स्टार्टअप का नाम दे रहे है।
यदि बात करे तो भारत में चीनी निवेशकों ने सबसे अधिक पैसा फ्लिपकार्ट ( 7126 मिलियन डॉलर), पेटीएम (4106 मिलियन डॉलर), ओला (2759 डॉलर), स्नैपडील ( 2089 मिलियन डॉलर), स्विगी ( 1644 मिलियन डॉलर), बाइजुय (1454 मिलियन डॉलर ), जोमाटो (912 मिलियन डॉलर), बिग बास्केट (730 मिलियन डॉलर) जैसे बड़े नाम शामिल है।
इन निवेशकों में बड़ी चीनी कंपनियां जैसे अलीबाबा, टेसेंट, शुनवे कैपिटल, फोसुं ग्रुप, शियोमी, जैसे बड़े नाम शामिल है।