भारत ने दुनिया का सबसे सस्ता कोरोना किट बनाकर दुनिया को चौका दिया है। कई देशों ने टेस्टिंग प्रक्रिया को बड़ी तेजी से करने के कारण, मामलों को ज्यादा फैलने से पहले समय पर रोकने में कामयाबी हासिल की है।
वैज्ञानिकों का लगातार यही कहना हैं कि, जितने ज्यादा टेस्ट किए जाएंगे उतने ही ज्यादा तेजी से कोरोना संक्रमितों को दूढ़ना आसान होगा।
तेजी से जाँच करने से संक्रमित इंसान को दूसरों को संक्रमित करने से पहले रोका जा सकता है। साथ ही उस इंसान को सही समय पर उपचार देकर जान बचाई जा सकती है।
शुरुआती चरण में जाँच प्रक्रिया काफी जटल थी, जिसमे समय के साथ-साथ खर्च भी काफी आया करता था। चीन से रैपिड टेस्टिंग किट मंगवाने के बाद इस प्रक्रिया को आसान और सस्ता बनाने के कोशिश की गई। लेकिन चीन ने फायदा देखते हुए 245 रुपए की टेस्टिंग किट 600 रुपए में ICMR को बेची। किट को जब भारत में इस्तेमाल किया जाने लगा था, तब उसके नतीज़ों पर सवाल खड़े होने लगें। इस किट से किए जाँच के नतीजों पर पूरी तरह से यकीन करना मुश्किल था। सफलता का प्रतिशत 70-90% माना जा रहा था। जिसकी वजह से कई राज्यों ने इसे इस्तेमाल करना बंद कर दिया गया।
IIT दिल्ली के Reserchers ने बनाई देश की सबसे सस्ती #Corona testing kit.
ये उन अँधभक्तों के मुहँ पर तमाचा है जो कुछ दिनो पहले देश के शिक्क्षण संस्थानों में Researchers को दी जाने वाली scholarship को रोकने और फीस बढ़ाने को सही ठह रहा रहे थे।#IITDelhi https://t.co/vdLTir8AzW— SATENDER VATS (@VatsSatender) April 25, 2020
कहाँ बना सबसे सस्ता कोरोना किट ?
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान( IIT) दिल्ली के शोधकर्ताओं ने मिलकर एक किट तैयार किया है। इस आरटी-पीसीआर कीट की कीमत महज़ 399 रुपए है।
IIT के कुसुमा स्कूल ऑफ बायोलॉजिकल साइंसेज द्वारा इस किट को तैयार किया गया है। इस किट को ICMR द्वारा मंजूरी दी जा चुकी है।
इस किट को “कोरोश्योर” नाम दिया गया है।
इस किट का निर्माण दिल्ली-एनसीआर के नुएटेक मेडिकल डिवाइसेस द्वारा किया गया है। इस किट पर काम जनवरी 2020 से शुरू हो गया था। बाजार में इसी तरह के किट की कीमत 600 से लेकर 1300 रुपए तक थी। साथ ही इन किटों के सफलता की गारंटी 90% है।
इस किट के आने के बाद भारत के उन पिछड़े राज्यो में जाँच करने में आसानी हो जाएगी, जहाँ स्वास्थ्य के बुनयादी ढांचों में कमी है।
भारत मे अभी 1 करोड़ 62 लाख से ज्यादा टेस्ट किए जा चुके है। लेकिन इनमें से 50% टेस्ट सिर्फ महाराष्ट्र, दिल्ली, तमिलनाडु, कर्णाटक और आंध्रप्रदेश जैसे राज्यो में ही किए गए है। बिहार और पश्चिम बंगाल जैसे बड़े राज्यो मे जहाँ देश भर से प्रवासी मजदूर पहुँचे थे। यहीं सबसे कम टेस्ट हो पाया है। हाल के दिनों में टेस्ट की प्रक्रिया थोड़ी ज्यादा करते ही मामलों में तेजी देखने को मिली है।