भारत चीन सीमा विवाद थमने का नाम ही नहीं ले रहा है। लद्दाख में हुआ भारत चीनी सेनाओं के बीच गतिरोध अभी भी थमा नहीं है। विदेश मंत्री ने भी अपने एक बयान में यह बताया था कि यह स्थिति 1962 के भारत-चीन युद्ध जैसी बनी हुई है। वहीं आज मानसून सत्र के दूसरे दिन रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी यह स्वीकार है कि चीनी सेना बड़ी तादात में गोला-बारूद सीमा पर इकट्ठा कर रही है।
राजनाथ सिंह ने कहा कि हमारे जवानों के हौसले पूरी तरह से बुलंद हैं और हम किसी भी हालात से निपटने के लिए तैयार हैं। रक्षा मंत्री ने बताया कि चीन ने सीमा पर गोला-बारूद इकट्ठा कर लिया है, लेकिन हमारी सेना भी तैयार है। हमारे जवान देशवासियों को सुरक्षित रख रहे हैं।
उन्होंने कहा कि, मई महीने में गलवान घाटी में आमना-सामना हुआ। चीन द्वारा मई महीने के मध्य में पश्चिमी लद्दाख के कई क्षेत्र में घुसपैठ की कोशिश की थी। हमने चीन से कूटनीतिक और सैन्य बातचीत के जरिए से साफ करा दिया कि यह एकतरफा सीमा को बदलने की कोशिश है और हमें यह मंजूर नहीं है।
रक्षा मंत्री ने सदन को बताया कि एलएसी पर गतिरोध बढ़ता हुआ देखकर दोनों तरफ के सैन्य कमांडरों ने 6 जून 2020 को मीटिंग की। इस बात पर सहमति बनी कि डिस-एंगेजमेंट किया जाए। दोनो पक्ष इस बात पर भी सहमत हुए कि एलएसी को माना जाएगा तथा कोई ऐसी कार्रवाई नहीं की जाएगी, जिससे यथास्थिति में कोई बदलाव हो। राजनाथ सिंह ने कहा कि 15 जून को चीनी सेना ने गलवान घाटी में हिंसक झड़प की। हमारे बहादुर सेना के जवानों ने अपनी जान का बलिदान किया और चीनी सेना के जवानों को भी काफी क्षति पहुंचाई है।