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NCRB का डाटा आया सामने, किसानों के बाद ड्रग की वजह से आत्महत्या में भी महाराष्ट्र सबसे आगे

NCRB के डाटा ने NCB द्वारा बॉलीवुड में ड्रग रैकेट के खुलासे को और पुख्ता कर दिया है। NCB ने सुशांत सिंह राजपूत केस में जांच करते हुए ड्रग संबंधित मामलों में कई लोगों की गिरफ्तारी की है। रिया और भाई शोविक से लेकर मैनेजर सैमुएल मिराण्डा और कई ड्रग तस्कर की गिरफ्तारी के साथ-साथ कई बड़े बॉलीवुड के नाम सामने आने लगे है।

NCRB का डाटा ऐसे समय में आया है जब ड्रग को लेकर पूरा बॉलीवुड घबराया हुआ है। महाराष्ट्र सरकार से लेकर मुम्बई पुलिस व्यवस्था पर सवाल उठ रहे हैं कि किस संयोजित तरीके से सालों से ड्रग का कारोबार चल रहा है।

किसानों की बदहाली और आर्थिक तंगी की वजह से महाराष्ट्र किसान आत्महत्या में पहले से ही पहला स्थान बनाए हुए था। अब NCRB का डाटा ने ये भी साबित कर दिया कि एक तरफ जहाँ महाराष्ट्र के गरीब किसान जो अपनी आर्थिक हालतों की वजह से आत्महत्या करते आ रहे हैं और वही अमीर वर्ग के वे युवा जो आर्थिक रूप से संपन्न है वे भी नशे की लत की वजह से आत्महत्या कर रहे हैं।

NCRB का डाटा

ड्रग की छोटी खुराक भी हज़ारो रुपए में आती है और ये आसानी से मिलने वाले नशे की तरह नही है। खरीदने से लेकर सेवन करने के लिए भी एक पहुंच और बहुत से पैसे होने चाहिए। अगर हम इसे अमीरों का नशा कहें तो गलत नही होगा।

NCRB का डाटा क्या कहता है ?

NCRB(National Crime Record Bureau) के डाटा में पिछले पाँच सालो में देश मे हुई आत्महत्याओं का विवरण दिया है। इस डाटा में दिखाया गया है कि पिछले पांच सालों में लगातार ड्रग की वजह से आत्महत्या करने वालो की संख्या में काफी तेजी से वृद्धि होती आ रही है। 2015 से 2019 बीच के इस डाटा के अनुसार कुल आत्महत्या में से 2015 में 3.67% तो वही 2016,17,18 में 5.19%, 6.70%, 7.19% और 2019 में 7.9% लोगो ने ड्रग की वजह से आत्महत्या कि।
इन आकड़ो से ये साफ पता चलता है कि किस बढ़त के साथ आत्महत्या की वजह ड्रग का चलन बनता जा रहा है।

देश के कुछ चुनिदा राज्य ही है, जहाँ से मुख्यता इस तरह के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। महाराष्ट्र, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु और मध्यप्रदेश ये वो पाँच राज्य है जहाँ कुल मामलो के 81% मामले सामने आ रहे हैं।

महाराष्ट्र की बात करे तो 2019 में 2256 मामलो के साथ 29% ड्रग की वजह से आत्महत्या मामलो के साथ सबसे ज्यादा था। वही 1133 मामलो के साथ कर्नाटक दूसरे नंबर पर रहा।

NCRB के डाटा के अनुसार अगर पाँच साल का आंकड़ा देखे तो ड्रग की वजह से कुल 31 हज़ार आत्महत्या हुई हैं। 2019 में ही 7860 मामले सामने आए है जो सबसे ज्यादा है। अगर अनुमान लगाए तो रोज़ तकरीबन 21 लोग ड्रग की वजह से आत्महत्या कर रहे हैं।

 

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