गुजरात में 2002 में हुए दंगों पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने न्यूज़ एजेंसी एएनआई को दिए एक इंटरव्यू में अपनी बात खुल के कही है. 2002 गुजरात दंगों में शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद गृह मंत्री शाह ने इंटरव्यू दिया है. अमित शाह ने कहा कि मोदी और भाजपा के खिलाफ करीब दो दशक से दुष्प्रचार चल रहा है. उन्होंने कहा कि ‘सुप्रीम कोर्ट ने सभी आरोपों को खारिज किया है और इस मामले में फैसला देकर सच्चाई सामने ला दी है. आप कह सकतें हैं कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने ये सिद्ध कर दिया है कि सभी आरोप राजनीतिक रूप से प्रेरित थे.’ शाह ने कहा कि ‘मोदी जी ने उदाहरण पेश किया कि कैसे संविधान का सम्मान किया जा सकता है. उनसे पूछताछ की गई लेकिन किसी ने धरना नहीं दिया और कार्यकर्ता उनके साथ एकजुटता दिखाने के जिए सड़कों पर नहीं उतरे. जिन लोगों ने मोदी जी पर आरोप लगाए थे अगर उनकी अंतरात्मा है तो उन्हें मोदी जी और बीजेपी नेता से माफी मांगनी चाहिए.’
अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 18-19 साल की इस लंबी लड़ाई को बिना एक शब्द कहे लड़ा. उन्होंने भगवान शंकर के ‘विषपान’ की तरह सभी दर्द झेला. आज जब सत्य सोने की तरह चमकता हुआ बाहर आया है तो मुझे आनंद हो रहा है, मैंने बहुत करीब से मोदी जी को पीड़ित देखा है. केवल एक मजबूत इरादों वाला व्यक्ति ही कुछ न कहने का स्टैंड ले सकता था. मामला विचाराधीन था, इसलिए उन्होंने कुछ नहीं कहा.
तहलका स्टिंग आपरेशन साजिश थी
कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि गोधरा ट्रेन में आग लगने के बाद की घटनाएं पूर्व नियोजित नहीं बल्कि स्वप्रेरित थी और तहलका द्वारा स्टिंग ऑपरेशन को भी खारिज कर दिया क्योंकि इसके पहले का और बाद का जब फुटेज आया तब पता चला कि ये स्टिंग राजनीतिक उद्देश्य से किया गया था.
#WATCH LIVE | HM Amit Shah breaks his silence on what happened during the 2002 Gujarat riots. An interview with ANI Editor Smita Prakash. https://t.co/qkX9eAYeG6
— ANI (@ANI) June 25, 2022
दंगों का मूल कारण गोधरा में ट्रेन का जलना था
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, 2002 के गुजरात दंगों का मूल कारण गोधरा में ट्रेन का जलना था. 16 दिन के बच्चे सहित 59 लोगों को आग के हवाले किया गया…कोई परेड नहीं की गई, यह झूठ है. 16 दिन की बच्ची, जो माँ की गोद में थी… उसे भी जला दिया गया. अपने हाथों से अग्नि-संस्कार किया है मैंने गोधरा में. उस ट्रेन में जले लोगों का अंतिम संस्कार अपनी आँखों से देखा. उन्हें सिविल अस्पताल ले जाया गया और परिवारों द्वारा शवों को बंद एम्बुलेंस में उनके घर ले जाया गया. उसके बाद के तमाम दंगे राजनैतिक साजिश से हुए. गुजरात दंगों का कोई आधिकारिक इनपुट भी नहीं था. उस समय के जिम्मेदार लोगों ने अच्छा काम किया था.”
तीस्ता सीतलवाड़ के NGO ने गुजरात दंगों का झूठा प्रचार किया
सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर शाह ने कहा कि मैंने फैसला (24 जून) को जल्दबाजी में पढ़ा, लेकिन इसमें स्पष्ट रूप से तीस्ता सीतलवाड़ के नाम का उल्लेख है. कोर्ट ने बता दिया है कि जाकिया जाफरी ने किसी और के निर्देश पर काम किया है. इसके पीछे एक एनजीओ था जिसने कई पीड़ितों के हलफनामे पर हस्ताक्षर किए और उन्हें पता भी नहीं चला सभी पुलिस थानों में भाजपा कार्यकर्ताओं से जुड़े ऐसे आवेदन दिए थे. मीडिया द्वारा इतना दबाव था कि सभी आवेदनों को सच मान लिया गया.’ शाह ने कहा कि सभी जानते हैं कि तीस्ता सीतलवाड़ का एनजीओ ऐसा कर रहा था। और जब यूपीए सरकार उस समय सत्ता में आई, तो उसने इस एनजीओ की मदद की.
#WATCH | "I read the judgement(24th June's)hurriedly but it clearly mentions Teesta Setalvad's name. She had an NGO that gave such applications involving BJP workers, at all Police Stations.There was so much pressure by media that all applications were treated as truth," says HM pic.twitter.com/441rmGfXsS
— ANI (@ANI) June 25, 2022