उत्तर प्रदेश आबादी के लिहाज से भारत का सबसे बड़ा राज्य है जबकि क्षेत्रफल लिहाज से चौथा सबसे बड़ा राज्य है. उत्तर प्रदेश क्षेत्रफल के लिहाज से ब्रिटेन के बराबर है तथा जनसंख्या ब्राजील के बराबर है. कोरोना महामारी की दूसरी लहर के समय उत्तर प्रदेश को जनसंख्या के लिहाज से सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाला राज्य माना जा रहा था . 23 करोड़ की विशाल आबादी वाले प्रदेश में प्रदेश सरकार ने कोरोना महामारी की दूसरी लहर को जिस शानदार तरीके से हैंडल किया तथा स्थिति को नियंत्रण मे रखा उसपर विश्व स्वास्थ्य संगठन ( डब्लूएचओ) ने प्रदेश सरकार की पीठ थपथापायी थी तथा आट्रेलिया की संसद सदस्य क्रेग केली ने ट्विट लिखकर कहा था ,”भारतीय उत्तर प्रदेश की जनसंख्या 23 करोड है,इसके बावजूद कोरोना के नए डेल्टा वेरिएंट पर लगाम लगाई है”।ऑस्ट्रेलियाई सांसद क्रेग केली के बाद कनाडा के पैट्रिक ब्रुकमैन नामक निवेशक ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रभावी नेतृत्व का हवाला देते हुए,यूपी मॉडल ऑफ कोविड प्रबंधन की सराहना की लेकिन इससे बढती आबादी को नियंत्रण ना करने के उपायो से इंकार नही किया जा सकता है .उत्तर प्रदेश सरकार जनसंख्या नियंत्रण पर कानून बनाने की तरफ कदम बढा रही है,जनसंख्या नियंत्रण कानून लाने के पीछे प्रदेश सरकार का मानना है कि प्रदेश की जनसंख्या काफी तेजी से बढ़ रही है,इसी वजह से अस्पताल, खाना, घर और रोजगार से संबंधित दूसरे मुद्दे भी पैदा हो रहे हैं. इसीलिए जनसंख्या नियंत्रण जरूरी है हालाकिं सरकार का मानना है कि ये कानून किसी धर्म विशेष या मानवाधिकारों के विरूद्ध नही हैं .सरकार चाहती है कि सरकारी संसाधन और सुविधाएं उन लोगो के उपलब्ध हों जो जनसंख्या नियंत्रण मे सहयोग कर रहे हैं तथा योगदान दे रहें हैं. जनसंख्या नियंत्रण कानून लागू होने की चर्चा के बाद साधु-संत,मौलाना और नेता आमने सामने आ गये हैं ।यूपी विधानसभा मे विपक्ष के नेता राम गौविंद चौधरी ने कहा है “पीएम और सीएम दोनो परिवार विहीन हैं, उन्हें पत्नी, परिवार का दर्द नही मालूम। जनता से उन्हें प्रेम नही हैं। उनका परिवार नहीं,लिहाजा उन्हें परिवार का दर्द नही पता”
अखाडा परिषद अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी का बयान आया , उन्होनें कहा , जनसंख्या वृद्धि को कानून लाकर नहीं रोका गया तो आने वाले दिनों मे देश में बडा जनसंख्या विस्फोट हो सकता हैं। मंहत नरेंद्र गिरी के बयान पर शहजीम उलमा-ए-इस्लाम के जनरल सिक्रेटरी मौलाना शहाबुद्दीन रिजवी ने कहा है कि ‘कौन कितने बच्चे पैदा करेगा, ये उसकी मर्जी है।अगर प्रदेश मे जनसंख्या नियंत्रण कानून आता है तो इसका विरोध किया जाएगा’।
हाल ही में असम के सीएम हिमंता बिस्वा सरमा ने बढती जनसंख्या को ‘सामाजिक संकट’ बताते हुये असम राज्य में जनसंख्या नियंत्रण कानून लागू करने की औपचारिक घोषणा की थी. लेकिन असम के पूर्व सीएम सर्बानंद सोनोवाल की सरकार ने एक जनवरी 2021 के बाद दो से अधिक बच्चे वाले व्यक्तियों को कोई सरकारी नौकरी नहीं देने की घोषणा कर दी थी . ओडिशा राज्य मे दो से अधिक बच्चे वालों को अरबन लोकल बॉडी इलेक्शन लड़ने की इजाजत नहीं है .बिहार और उत्तराखंड राज्य मे टू चाइल्ड पॉलिसी है, वो भी केवल नगर पालिका चुनावों तक सीमित है.महाराष्ट्र मे जिन लोगों के दो से अधिक बच्चे हैं उन्हें ग्राम पंचायत और नगर पालिका के चुनाव लड़ने पर रोक है. महाराष्ट्र सिविल सर्विसेस रूल्स ऑफ 2005 के अनुसार तो ऐसे व्यक्ति को राज्य सरकार में कोई पद भी नहीं मिल सकता है. ऐसी महिलाओं को पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम के फायदों से भी बेदखल कर दिया जाता है.1994 में आंध्र प्रदेश के पंचायती राज एक्ट ने एक शख्स पर चुनाव लड़ने से सिर्फ इसीलिए रोक लगा दी थी, क्योंकि उसके दो से अधिक बच्चे थे . राजस्थान पंचायती एक्ट 1994 के अनुसार राजस्थान में अगर किसी के दो से अधिक बच्चे हैं तो उसे सरकारी नौकरी के लिए अयोग्य माना जाता है. दो से अधिक बच्चे वाले शख्स को सिर्फ तभी चुनाव लड़ने की इजाजत दी जाती है, अगर उसके पहले के दो बच्चों में से कोई दिव्यांग हो.गुजरात की तत्कालीन सीएम नरेंद्र मोदी सरकार ने 2005 मे लोकल अथॉरिटीज एक्ट को बदल दिया था .दो से अधिक बच्चे वाले शख्स को पंचायतों के चुनाव और नगर पालिका के चुनावों में लड़ने की इजाजत नहीं होगी. मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ मे सन 2001 में ही टू चाइल्ड पॉलिसी के तहत सरकारी नौकरियों और स्थानीय चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी गई थी. हालांकि, सरकारी नौकरियों और ज्यूडिशियल सेवाओं में अभी भी टू चाइल्ड पॉलिसी लागू है. 2005 में दोनों ही राज्यों ने चुनाव से पहले फैसला उलट दिया, क्योंकि शिकायत मिली थी कि ये विधानसभा और लोकसभा चुनाव में लागू नहीं है.
भले ही पिछले साल सुप्रीम कोर्ट मे केंद्र सरकार की नरेंद्र मोदी सरकार ने हलफनामा दिया था कि सरकार जबरन देश के किसी नागरिक पर परिवार नियोजन योजना थोपने के पक्ष मे नही है अत: जनसंख्या नियंत्रण पर कानून नही लाता जा सकता है .लेकिन सन 2019 जनसंख्या नियंत्रण कानून को पीएम मोदी भी आवश्यक बता चुके हैं पीएम मोदी स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले की प्राचीर से लोगों से अपील कर चुके हैं कि वह जनसंख्या नियंत्रण पर ध्यान दें. बल्कि उन्होंने तो इसे देशभक्ति से भी जोड़ दिया और कहा कि छोटा परिवार रखना भी एक तरह से देशभक्ति ही है .जनसंख्या नियंत्रण कानून की मांग को लेकर मेरठ में ‘समाधान मार्च’ निकाला गया था. तीन दिवसीय पदयात्रा की अगुवाई केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह, सांसद राजेंद्र अग्रवाल और स्वामी यतीन्द्रानंद गिरी ने की थी. आरएसएस ने पिछले सालों में जनसंख्या नियंत्रण की बात जरूर की है, लेकिन 2013 में आरएसएस ने ही ये भी कहा था कि हिंदू जोड़ों को कम से कम तीन बच्चे पैदा करने चाहिए.हालांकि, 2015 में रांची में हुई बैठक में आरएसएस ने टू चाइल्ड पॉलिसी की वकालत की थी.