दिल्ली सरकार ने पुरानी शराब नीति को फिर से लागू करने का फैसला किया है। दिल्ली सरकार के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि 6 महीने तक पुरानी शराब नीति लागू रहेगी। वहीं इसके बाद बीजेपी का कहना है कि उन्होंने नई शराब नीति के खिलाफ संघर्ष किया और उनके संघर्षों का यह परिणाम है कि सरकार नई शराब नीति को वापस ले रही है।
मनीष सिसोदिया ने कहा कि पुरानी व्यवस्था को केवल 6 महीने के लिए बढ़ाया गया है, जबकि सरकार 2022-23 के लिए नई आबकारी नीति बना रही है। बता दें कि पुरानी शराब नीति के अनुसार 60% दुकानें सरकार द्वारा संचालित होंगी। जबकि 40 फ़ीसदी दुकानें ही निजी संचालकों के हाथ में जाएंगी। लेकिन नई शराब नीति फिर जारी होती तो उसमें के अनुसार सभी दुकाने निजी लोग चलाते।
बीजेपी सरकार पर आरोप लगाती थी कि दिल्ली सरकार ने शराब की दुकानों को निजी लोगों के हाथों में देकर भ्रष्टाचार बढ़ाने का काम किया है। बता दें कि कई वाइन शॉप एक शराब पर एक फ्री देते थे और बीजेपी कहती थी कि केजरीवाल सरकार मुफ्त में शराब बांट रही है। लेकिन अब पुरानी शराब नीति के बहाल होने से ऐसा नहीं होगा।
मुख्य सचिव ने भी अपनी रिपोर्ट में कहा था कि शराब कारोबारियों को टेंडर में करीब 144 करोड़ रुपए की छूट दी गई और कोरोना के कारण लाइसेंस फीस में माफी की गई और टैक्स भी माफ किए गए। नई शराब नीति में लिखित तौर पर इसका प्रवधान नहीं था।
मुख्य सचिव ने अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा कि शराब की बिक्री प्राइवेट दुकानों में बढ़े, इसके लिए सरकार द्वारा कई प्रावधान किए गए। जैसे एक कैरेट खरीदे, दूसरी कैरेट मुफ्त पाएं वाली स्कीम लागू की गई और लगभग हर जगह ऐसे ही शराब बिक रही थी। मुख्य सचिव ने अपनी रिपोर्ट में सरकार के लोगों की मिलीभगत का भी अंदेशा जताया था।
पिछले वर्ष नई शराब नीति लागू हुई थी, उसके बाद से ही बीजेपी दिल्ली सरकार के खिलाफ हल्ला बोल प्रदर्शन करती रही। दिल्ली बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता की अगुवाई में बीजेपी ने कई बार इसके खिलाफ प्रदर्शन किया और केजरीवाल सरकार से शराब नीति को वापस लेने की मांग की गई थी। नई शराब नीति के वापस लेने पर आदेश गुप्ता ने कहा कि बीजेपी और दिल्लीवासियों का संघर्ष रंग लाया।