आदमी पार्टी के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार द्वारा वित्तपोषित 12 कॉलेजों आर्थिक संकट से ग्रस्त है। शिक्षकों, कर्मचारियों के वेतन के साथ-साथ यह कॉलेज पिछले दो वर्षों से चिकित्सा बिलों, विभिन्न भत्ते, सातवें वेतन आयोग के लागू होने के बाद देय बकाया भुगतान राशि सहित अन्य बकाया राशि का भुगतान कर पाने में असमर्थ हैं।
आम आदमी पार्टी से सवाल पूछते हुए वरिष्ठ पत्रकार कंचन गुप्ता ने कहा की ऐसा लग रहा है जैसे पंजाब की तर्ज पर दिल्ली आगे बढ़ रही है। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा की कॉलेज के शिक्षकों की फीस का पैसा सरकार के पास नही है। ऐसा प्रतीत होता है की सारा पैसा सीएम केजरीवाल की छवि चमकाने में लगाया जा रहा है।
आपको बता दें कि पिछले काफी टाइम से दिल्ली सरकार के अंतर्गत आने वाले कॉलेज का बजट रोक दिया गया है। जिसके बाद तमाम शिक्षक संघ और बीजेपी ने भी इस पर केजरीवाल सरकार के विरोध में मोर्चा खोल रखा है।
दिल्ली विश्वविद्यालय के 12 प्रसिद्ध कॉलेजों का भविष्य लगातार अधर में बना हुआ है. यह 12 कॉलेज पूरी तरह दिल्ली सरकार द्वारा वित्तपोषित (funded) हैं. यहां अव्यवस्थाओं का मुख्य कारण इन कॉलेजों में उत्पन्न होता आर्थिक संकट है. इस आर्थिक संकट के कारण बार-बार विभिन्न श्रेणियों के शिक्षकों एवं अन्य कर्मचारियों के वेतन में देरी होती है. दिल्ली विश्वविद्यालय से संबंधित इन कॉलेजों की दशा को देखते हुए अब शिक्षकों द्वारा यूजीसी से इन कॉलेजों को टेक ओवर करने को कहा जा रहा है.
In #Delhi and #Punjab #AAP Govts have all the money to spend on @ArvindKejriwal 's self-glorification by splurging taxpayers' money on media.
But they have no money to pay teachers and staff.
This is the 'Kejriwal Model' high on #LiquorScam low on integrity. pic.twitter.com/fgE7aBeZNF— Kanchan Gupta ?? (@KanchanGupta) September 9, 2022
यूजीसी से जिन कॉलेजों के टेकओवर की मांग रखी गई है, उनमें दिल्ली का भीमराव अंबेडकर कॉलेज, महाराजा अग्रसेन कॉलेज, महर्षि बाल्मीकि कॉलेज, इंदिरा गांधी स्पोर्ट्स कॉलेज, अदिति महाविद्यालय, भगिनी निवेदिता, दीन दयाल उपाध्याय कॉलेज, भास्कराचार्य कॉलेज ऑफ अप्लाइड साइंस और केशव महाविद्यालय आदि शामिल हैं.
दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षकों का कहना है कि दिल्ली सरकार द्वारा वित्तपोषित 12 कॉलेजों को दिल्ली सरकार की ओर से जो ग्रांट दी जा रही है, उसमें शिक्षकों और कर्मचारियों के वेतन का भुगतान बमुश्किल हो पाता है. इन कॉलेजों में गेस्ट टीचर्स, कन्ट्रक्चुल कर्मचारी भी है जिन्हें 12 से 15 हजार रुपये प्रति माह मिलते हैं, लेकिन पिछले दो महीने से कुछ कॉलेजों में सैलरी नहीं मिली है. शिक्षकों के मुताबिक कुल मिलाकर स्थिति यह है कि दिल्ली जैसे महानगर में ये कर्मचारी बिना वेतन कार्य कर रहे हैं.