संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत की अर्थव्यवस्था कैलेंडर वर्ष 2024 में 6.7 प्रतिशत बढ़ने की उम्मीद है। ये घरेलू मांग के समर्थन में है, जिसमें कहा गया है कि उच्च ब्याज दर और कमजोर बाहरी मांग इस वर्ष देश के लिए निवेश और निर्यात पर भार जारी रखेगी।
संयुक्त राष्ट्र ने भारत के बारे में ‘2023 के मध्य तक विश्व आर्थिक स्थिति और संभावनाएं’ नामक रिपोर्ट मंगलवार को जारी की। रिपोर्ट के अनुसार कैलेंडर वर्ष 2023 में भारतीय अर्थव्यवस्था के वृद्धि की रफ्तार 5.8 प्रतिशत रह सकती है। जबकि 2023 में यह बढ़कर 6.7 प्रतिशत हो सकती है। रिपोर्ट के अनुसार घरेलू मांग में लचीलापन बरकरार रहने से भारतीय अर्थव्यवस्था को मदद मिलेगी।
संयुक्त राष्ट्र के आर्थिक और सामाजिक मामलों के विभाग में वैश्विक आर्थिक निगरानी शाखा, आर्थिक विश्लेषण और नीति प्रभाग के प्रमुख हामिद राशिद ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा था कि भारत विश्व अर्थव्यवस्था में एक ‘ब्राइट स्पॉट यानी उज्ज्वल बिंदू’ बना हुआ है। उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा कि भारत के संबंध में हमारे अनुमान जनवरी से नहीं बदले हैं। भारतीय आर्थव्यवस्था के संबंध में कई सकारात्मक चीजें दिख रही हैं जिनमें मुद्रास्फीति में आई बढ़िया गिरावट शामिल है।
हालांकि, इसके साथ ही उन्होंने कहा कि बाहरी जोखिम बना हुआ है। राशिद ने कहा, ‘‘यदि बाहरी वित्त की स्थिति और खराब होती है, तो भारत को कुछ चुनौतियों से जूझना पड़ सकता है।’’