मध्य प्रदेश के स्कूलों में अब बच्चों को वीर सावरकर की जीवनी पढ़ाई जाएगी। रिपोर्ट्स के मुताबिक, नए सिलेबस में वीर सावरकर से जुड़ा पाठ होगा जिसमें उनकी गाथा पढ़ाई जाएगी। इसके अलावा भगवद गीता संदेश, भगवान परशुराम, भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु के बारे में भी छात्रों को पढ़ाया जाएगा।
भोपाल में स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने कहा कि दुर्भाग्य से कांग्रेस की सरकारों ने भारत के क्रांतिकारियों को इतिहास के पन्नों में जगह नहीं दी। विदेश आक्रांताओं को महान लिखा गया। हम बच्चों को उनके बारे में पढ़ाने का काम करेंगे इसलिए नए पाठ्यक्रम में हम उनके बारे में जोड़ेंगे।
उन्होंने कहा वीर सावरकर हमारे उन महान क्रांतिकारियों में से एक हैं जिनको, एक जन्म में दो – दो आजन्म कारावास की सजा हुई। 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में वे पहले लेखक हुए जिन्होंने 1857 के आंदोलन को स्वतंत्रा संग्राम कहा। नहीं तो लोग ग़दर ही कहते थे। स्कूल शिक्षा मंत्री ने कहा- भारत की आजादी में उनका अभूतपूर्व योगदान है इसलिए उनको समाज जीवन में हर जगह सम्मान मिलना चाहिए।
राज्यपाल रमेश बैस ने कहा कि वीर सावरकर स्वतंत्रता आंदोलन के महानायक थे। वह एक विद्वान और दार्शनिक थे। वह दो बार आजीवन कारावास की सजा पाने वाले एकमात्र स्वतंत्रता सेनानी थे। उनके विचार कालजयी हैं। सावरकर का अर्थ है प्रतिभा, सावरकर का अर्थ है बलिदान। वह सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ लड़ने वाले योद्धा थे। वह एक महान समाज सुधारक थे। उन्होंने कहा कि सावरकर जाति व्यवस्था के भी खिलाफ थे। सावरकर का कहना था, जब तक हम जाति में बंटे रहेंगे तब तक बाहरी लोग इसका फायदा उठाकर हमें आपस में लड़वाते रहेंगे।