‘जमीनी हकीकत‘ जानने की उम्मीद से हम पूरे गुजरात में भ्रमण पर हैं और हमने इस भ्रमण को ‘चुनावी यात्रा‘ का नाम दिया है. इसी कड़ी में संतरामपुर के लोगों ने CEO प्रदीप भंडारी से चुनावी मंतव्य के विषय में चर्चा की. आप सभी को यह बताते हुए हर्ष की अनुभूति हो रही है की हमारे ओपिनियन पोल की कवरेज नेशनल मीडिया ने बढ़ चढ़ कर की जिसमे प्रमुख नाम थे Republic, News24, NewsX, जनसत्ता और नवसमय गुजरात. आपको यह बताते हुए भी हर्ष की अनुभूति हो रही है की हमारे एक फेसबुक लाइव टेलीकास्ट को ऐतिहासिक viewership मिली है.
इस चुनावी यात्रा के दौरान हम आज पहुंचे संतरामपुर, जो की महिसागर जिले की एक विधानसभा है. जहाँ के मौजूदा विधायक ‘गेंडालभाई डामोर‘ कांग्रेस पार्टी से हैं. यहाँ के लोगों ने पिछले १० साल से कांग्रेस को वोट दिया है, लेकिन इसबार भाजपा का पलड़ा भारी लगता है. उसकी मुख्यता तीन वजहें हैं:-
१- भाजपा के मौजूदा प्रत्याशी कुबेरभाई डिंडोर यहाँ की जनता के साथ सुख दुःख में खड़े रहे हैं
२- टिकट न मिलने के बाद भी लोगों के लिए काम किया
३- कांग्रेस के संतरामपुर से विधायक क्षेत्र में बहुत कम आते हैं
हमने लोगों से बातचीत की और उनसे वहां के मुद्दों पर जानकारी प्राप्त करनी चाही.
सबसे पहले हमने एक आहार विक्रेता से बात की जिन्होंने हमे बताया की कांग्रेस के विधायक ने काम तो अच्छा किया है लेकिन पलड़ा इस बार भाजपा का भारी लग रहा है, हालाँकि मामला ५०-५० का है. बिजली, पानी की व्यवस्था को उन्होंने ठीक बताया.
आगे बढ़ते हुए हमे एक बुजुर्ग मिले जिन्होंने हमे चुनावी समीकरण समझाते हुए कहा की, ऐसा लग रहा है भाजपा का पलड़ा भारी है. मौजूदा विधायक के बारे में कहते हुए, उन्होंने कहा की विधायक ने कुछ नया काम नहीं किया, कुछ विशेष परिवर्तन नहीं आया है संतरामपुर में. इसलिए भाजपा के विधायक के जीतने की उम्मीद लग रही है.
आगे रिपोर्टर अनिरुद्ध ने एक युवती, दीपल जैन से बात करते हुए उनसे संतरामपुर के मुद्दों के बारे में बताने को कहा. युवती ने अपने भावी विधायक से यह उम्मीद की, की वह शिक्षा की व्यवस्था सुधार दें. संतरामपुर में अंग्रेजी माध्यम के स्कूल नहीं हैं, गवर्नमेंट कॉलेज है परन्तु हायर एजुकेशन की यहाँ व्यवस्था नहीं है. रोजगार के मुद्दे पर युवती ने कहा की रोजगार यहाँ नहीं मिलता.
और लोगों ने सामान्य तौर पर यह कहा की इसबार संतरामपुर में भाजपा के उम्मीदवार का पलड़ा भारी लग रहा है. एक युवा ने कहा की हमे इसबार ऐसा नेता चाहिए जो विकास करे, काम करे. हमारे सीईओ प्रदीप भंडारी ने स्ट्रीट लाइटिंग की समस्या भी खुद अपनी आँखों से देखी. रिपोर्टर ने और लोगों से बात करते हुए यह भी जाना की कुछ लोग कांग्रेस को भी सपोर्ट कर रहे हैं, हालाँकि ५०-५० का मामला है, उसपर सभी ने सहमति जताई.
एक और युवक से हमारी बातचीत हुई, जिन्होंने चुटनी पर अपनी राय रखते कहा की यहाँ विकास नहीं हुआ, हमे इसबार ऐसा विधायक चाहिए और ऐसी सर्कार चाहिए जो शिक्षा के क्षेत्र में काम करें और संतरामपुर में घूमने के स्थान होने चाहिए. कहा की
हमे इसबार ऐसा नेता चाहिए जो विकास करे, काम करे.
एक और बुजुर्ग ने हमे संतरामपुर में कचरे की समस्या भी बताई. एक महिला से बात करते हुए हमे उन्होंने बताया की, यहाँ कचरे की समस्या है, पानी ४-४ दिन पर एक बार आता है और यहाँ किसी की जवाबदारी नहीं बनती, वोट लेने आते हैं और उसके बाद कभी नहीं दिखते. उन्होंने यह भी कहा की हम इन समस्यों से आजिज आ चुके हैं और
संतरामपुर है तो शहर ही है लेकिन इसको गाँव जैसा बना रख्हा है.
एक और युवा ने हमसे जुड़ते हुए बताया की, शिक्षा की यहाँ बहुत बड़ी समस्या है और गरीबों की बात भी सुनी नहीं जाती. उन्होंने यह भी बताया की ४० किलोमीटर दूर जाकर उच्च शिक्षा लेनी पड़ती है और प्रोफेशनल एजुकेशन के लिए १०० किलोमीटर के ऊपर जाना पड़ता है.
एक डॉक्टर से बात करते हुए हमने उनसे स्वास्थ्य व्यवस्था पर भी बात की, उन्होंने हमे बताया की Sesonal बिमारियों की रोकथाम की तैयारी होनी चाहिए. सुझाव के तौर पर उन्होंने कहा प्रदूषण कम होना चाहिए, साफ़ सफाई ठीक होनी चाहिए.
एक और महिला ने हमसे जुड़ते हुए कहा की, पानी की समस्या यहाँ बहुत बड़ी है. इसके अलावा महिलाओं की सुरक्षा का मसला भी एक मुद्दा है. मौजूदा विधायक से वो खुश नहीं दिखी. शिक्षा के मसले पर उन्होंने कहा की शिक्षा व्यवस्था यहाँ बदतर है.
रनेला गाँव के सरपंच से बात करते हुए, हमने उनसे दिक्कतों की बात की, उन्होंने बताया की खेती लायक पानी नहीं मिल रहा है.
सीईओ प्रदीप भंडारी ने यह पाया की कांग्रेस को यहाँ कड़ी टक्कर मिलेगी भाजपा के प्रत्याशी से. अनिरुद्ध ने अंत में अपनी राय रखते हुए कहा की यहाँ दिक्कतें हैं, और उम्मीद है की भावी विधायक यहाँ स्थिति सही कर पायंगे. हमारे सीईओ प्रदीप भंडारी ने अंत में कहा की, गन्दगी और पानी की समस्या, गटर की समस्या और सड़कों की समस्या संतरामपुर में है और स्थिति बदलनी चाहिए.
– यह स्टोरी स्पर्श उपाध्याय ने की है