बीते गुजरात के चुनाव नतीजों पर पूरे देश की नजर थी, जहाँ कांग्रेस पार्टी बीजेपी को बेहतरीन टक्कर देने में कामयाब रही, वहीँ बीजेपी ने अपना जादू बरक़रार रखते हुए 99 सीटों के साथ गुजरात में छठी बार सरकार बनायीं. बीते 18 तारिख को चुनाव के नतीजे घोषित हुए लेकिन भाजपा की तरफ से मुख्यमंत्री के नाम पर चुप्पी कायम थी, हालाँकि उनके सबसे विश्वस्त चेहरा विजयभाई रुपानी (जो की अगस्त 2016 से गुजरात के मुख्यमंत्री थे) एक सफल मुख्यमंत्री साबित हुए, लेकिन उनके नाम पर ठप्पा लगाने में भाजपा ने 22 दिसम्बर तक का इंतज़ार किया.
आज विजय रुपानी ने अपने 20 मंत्रियों के साथ शपथ ग्रहण की. बता दें की इनमे से 10 कैबिनेट और 10 मिनिस्टर ऑफ स्टेट रैंक के हैं. आइये आपको बताते हैं की किस किस को कैबिनेट एवं मिनिस्टर ऑफ स्टेट रैंक बनाया गया. 6 पाटीदार, 6 OBC, 2 राजपूत, 3 आदिवासी, एक दलित, एक ब्राह्मण और एक जैन शामिल.
कैबिनेट मंत्री
विजय रुपानी (CM) – विधायक राजकोट (पश्चिम)
जैन समुदाय से ताल्लुक रखने वाले रुपानी, अमित शाह और मोदी दोनों के करीब माने जाते हैं. पार्टी में इनकी गहरी पैठ है. दूसरी बार मुख्यमंत्री बनेंगे. म्यांमार में जन्मे रुपानी के पिता अनाज का व्यापर करते थे और 1960 में भारत के वड़ोदरा लौटे.
नितिन पटेल (Deputy CM) – विधायक मेहसाणा
जमीन से जुड़े हुए नितिन पटेल की जीत इस बार मुश्किल मानी जा रही थी, लेकिन उन्होंने मेहसाणा सीट जीती जबकि पाटीदार आंदोलन का गढ़ मेहसाणा ही था. मोदी और अमित शाह के करीबी और पाटीदार समाज से ताल्लुक रखने वाले नितिनभाई दूसरी बार उपमुख्यमंत्री बनेंगे.
भूपेंद्र सिंह चुडासमा – विधायक धोलका
क्षत्रिय चेहरा, सीनियर मंत्री रहे हैं. शिक्षा मंत्रालय में काम किया. पांचवी बार विधायक बने.
आर. सी. फालदू – विधायक जामनगर दक्षिण
पाटीदार समाज से आते हैं, पटेल के लेउवा जाती के हैं, २ बार भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भी रहे हैं. तीसरी बार बने हैं विधायक.
कौशिक पटेल – विधायक नारणपुरा
पटेल चेहरा, अमित शाह के सबसे करीबी लोगों में. राजस्व मंत्रालय का अनुंभव, अमित शाह की छोड़ी सीट नारणपुरा से विधायक बने हैं. चौथी बार विधानसभा के लिए चुने गए हैं. केशुभाई और नरेंद्र मोदी के साथ काम करने के अनुभव का बड़ा फायदा मिलेगा इन्हे.
जयेश रादडिया – विधायक जेतपुर
तीसरा चुनाव जीतने वाले जयेश भाई, पाटीदार समाज में मजबूत पकड़ रखते हैं और बड़े नतर से जेतपुर सीट को जीता. पूर्व में कांग्रेस में थे, २००७ कांग्रेस से जीता फिर २०१२ में भाजपा में शामिल होकर जीते.
गणपत वसावा – विधायक मंगरोल
आदिवासी चेहरा, स्पीकर भी रहे हैं. मंगरोल सीट से चौथी जीत है उनकी. नरेंद्र मोदी और आनंदीबेन पटेल की कैबिनेट में भी मंत्री रहे हैं.
दिलीप ठाकोर – विधायक चाणस्मा
पांचवी बार विधायक चुने गए हैं, ठाकुर समाज के साथ साथ ओबीसी में भी मजबूत पकड़ है. भाजपा के विश्वासपात्र हैं.
सौरभ पटेल – विधायक बोटाद
इससे पहले भी सौरभ पटेल मोदी सरकार में कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं.
ईश्वर परमार – विधायक बारदोली
दलित समाज से आते हैं. और दूसरी बार जीते हैं.
मिनिस्टर ऑफ स्टेट रैंक
कुमार कनानी – विधायक वराछा
पहली बार मंत्री बन रहे कनानी, सूरत में पाटीदार इफ़ेक्ट को मिटने में कामयाब रहे हैं और इसी के इनामस्वरूप उन्हें राज्यमंत्री का दर्जा दिया गया.
प्रदीपसिंघ जडेजा – विधायक वातवा (अहमदाबाद)
क्षत्रिय समाज से आने वाले, लगातार चौथी बार सिधायक बने हैं, पूर्व में गृह राज्यमंत्री रहे हैं और आनंदीबेन पटेल, नरेंद्र मोदी एवं विजय रुपानी के साथ काम करने का अनुभव रहा है.
विभावरी दवे – विधायक
एकमात्र महिला मंत्री, ब्राह्मण हैं और एक सफल नेतृत्व करने में माहिर हैं.
जेद्रथ सिंह परमार – विधायक हलोल
मध्य गुजरात में भाजपा का क्षत्रिय चेहरा. पंचमहल विधानसभा से लगातार २००२ से जीतते आ रहे हैं. पिछली हर सरकार में मंत्री भी रहे हैं.
ईश्वर पटेल – विधायक अंकलेश्वर
अंकलेश्वर सीट से विधायक, कोली पटेल समाज में अच्छी पैठ है. रुपानी और मोदी दोनों के करीब हैं और उनकी कैबिनेट में मंत्री रहे हैं.
पुरुषोत्तम सोलंकी – विधायक
कोली समुदाय से ताल्लुक रखने वाले पुरषोत्तम सोलंकी इसबार कोली समाज को लुभा तो नहीं पाए क्यूंकि भाजपा का कोली क्षेत्रों में वर्चस्व घटा. यह छठी बार विधायक बने हैं.
बचु खाबड़ – विधायक देवगढ़ बारिया
कांग्रेस के स्ट्रांगहोल्ड दाहोद जिले की देवगढ़ बारिया सीट पर जीते २००२ में और फिर २०१२ में. काफी सम्मानित व्यक्तित्व. रुपानी और आनंदीबेन दोनों की सरकार में मंत्री रहे.
परबत पटेल – विधायक थराद (बनासकांठा)
उत्तर गुजरात के चौधरी समाज से ताल्लुक रखने वाले परबतभाई, थराद सीट से पांचवी बार विधायक चुने गए हैं. मोदी और आनंदीबेन पटेल की सरकार में मंत्री रहने का अनुभव.
रमण पाटकर – विधायक उमरगाम
पांचवी बार उमरगाम से विधायक बनकर आये हैं और दक्षिण गुजरात के एक आदिवासी नेता हैं.
वासन भाई आहिर – विधायक अंजार
अंजार सीट से जीते हैं, पांचवी बार विधायक बने हैं, इसके पहले कच्छ की भुज सीट से चुनाव लड़ते थे. संसदीय सचिव भी रह चुके हैं.