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रजनीकांत की राजनीती में होगी धमाकेदार एंट्री? जाने उनकी राजनीतिक पारी शुरू होने के मायने

फिल्मों में जब भी किसी अभिनेता की एंट्री होती है तो पूरा माहौल शोर-शराबे से भर जाता है. अमूमन एक धमाकेदार गाना हीरो की एंट्री पर बजाया जाता है जिसे देखकर पूरी जनता झूम उठती है. सिनेमा हॉल में बैठे सभी दर्शक उस हीरो को देखकर और उस की धमाकेदार एंट्री को देखकर समझते हैं कि उनका पैसा वसूल हो गया और जब बात किसी सुपरस्टार की चल रही हो तो सिनेमा हॉल में बैठे उसके फैंस अपने हीरो को इस कदर धमाकेदार एंट्री करते हुए देख कर बस यही सोचते हैं भाई एंट्री हो तो ऐसी हो. राजनीति में भी किसी अभिनेता की एंट्री इसी प्रकार जनता के बीच रोमांच भर देती है और इसका ताजा उदाहरण हमें तमिलनाडु में मिलता है जहां रजनीकांत ने अपनी राजनीतिक पारी का ऐलान किया है.

राजनीति भी फिल्मों से ज्यादा अलग नहीं है, और आज के दौर में राजनेता और अभिनेता जनता की नजर में एक से है. ऐसे कई उदाहरण भी रहे हैं जहां पर कोई सिने जगत के व्यक्ति ने राजनीति में प्रवेश किया हो और सफल भी हुआ हो. भारत एक ऐसा देश है जहां पर राजनीति में सभी का प्रवेश होता है, सभी क्षेत्र के लोग प्रवेश करते हैं और देश की तरक्की में भागीदार बनते हैं लेकिन जब बात किसी अभिनेता की हो तो अटकलों का बाजार गर्म रहता है की उसकी राजनीति चल पाएगी या नहीं चल पाएगी. यह बात ठीक मालूम पड़ती है की जनता जनार्दन किसी भी राजनेता के भविष्य का फैसला करती है लेकिन कई बार ऐसा होता है कि कोई व्यक्ति Larger Than Life छवि के साथ राजनीति में प्रवेश करता है सारे समीकरण बदल के रख देता है.

भले जनता उसको पसंद करे या ना करे लेकिन जनता उसे दरकिनार नहीं कर पाती. और अगर तमिलनाडु की राजनीति की बात चल रही हो तो कुछ ऐसे नाम हमारे जहन में आते हैं जिन्हें भुलाया नहीं जा सकता इसमें से सबसे पहला नाम एनटीआर का है दूसरा नाम जयललिता का है और संभवतः तीसरा नाम रजनीकांत का होगा.

रजनीकांत, एक ऐसा तमिल नाडु सिनेमा का अभिनेता जिसे वहां की जनता भगवान के रूप में पूजती है और जब उस व्यक्ति ने हाल ही में राजनीति में प्रवेश करने का निर्णय लिया तो यह जाहिर था कि ना केवल तमिलनाडु बल्कि पूरे देश की जनता इस बात को लेकर सोच में पड़ गई कि रजनीकांत के प्रवेश के इसके साथ तमिलनाडु और देश की राजनीति किस तरह नए आयाम लेने वाली है? एक बेहद ही नाटकीय तौर पर वह जनता के सामने उपस्थित हुए और उन्होंने कहा कि “राजनीति में उनका प्रवेश अब जरूरी हो चला है” और उनके इस वाक्य ने राजनीती के गलियारों में में उथल पुथल मचा दी है. उन्होंने कहा कि “वक्त अब परिवर्तन का हो चला है” उन्होंने यह भी कहा कहा कि “वह खुद की एक राजनैतिक पार्टी का ऐलान करने वाले हैं जो तमिलनाडु में 2021 में होने वाले चुनाव में सभी 234 विधानसभा क्षेत्र में लड़ेगी” उन्होंने यह भी संकेत दिए कि उनकी पार्टी किसी भी प्रकार के जाति और धर्म की राजनीति में नहीं पड़ेगी और जनता की असली आवाज बनकर उभरेगी.रजनीकांत का तमिलनाडु की पॉलिटिक्स में एक तीसरी चेहरे के रूप में उभरना बहुत ही रोचक होगा. जहां अभी तक ‘एआईएडीएमके’ और ‘डीएमके’ पार्टियां ही तमिलनाडु में राजनीति को प्रभावित करते थे लेकिन आगामी चुनावों से मुकाबला त्रिकोणीय होने जा रहा है और इस बात की भी उम्मीद जाहिर की जा रही है रजनीकांत की पॉलिटिकल पार्टी भारतीय जनता पार्टी के साथ किसी ना किसी चुनावी समीकरण और गठबंधन में चुनाव लड़ सकती है.

रजनीकांत के राजनीतिक पार्टी लॉन्च करने के निर्णय के साथ ही यह भी साफ हो गया कि तमिलनाडु की राजनीति अब पूरी तरह से बदलने वाली है और तमिलनाडु की भारतीय जनता पार्टी की अध्यक्ष तमिलईसाई सुंदरराजन ने यह भी कहा कि वो रजनीकांत की पॉलिटिक्स में एंट्री को तमिलनाडु के भविष्य के लिए अच्छा मानती है और उम्मीद करती है भारतीय जनता पार्टी के मुख्य मकसद भ्रष्टाचार मुक्त गवर्नेंस को उनकी पार्टी आगे बढ़ाने का काम करेगी.
67 वर्षीय सुपरस्टार रजनीकांत ने राजनीती में उतरने का निर्णय उस वक्त लिया है जब भारतीय जनता पार्टी तमिलनाडु की पॉलिटिक्स में अपनी पैठ बनाने की कोशिश कर रही है और जब रजनीकांत ने भगवत गीता पर अपनी टिप्पणी दी तो यह साफ हो गया कि कहीं ना कहीं वह भारतीय जनता पार्टी के साथ किसी प्रकार के गठबंधन में चुनाव लड़ सकते हैं. हालांकि तमिलनाडु के एक और सुप्रसिद्ध नेता कमल हासन भी अपनी राजनीतिक पार्टी के साथ मैदान में उतरने के प्रयास में है और अब देखना यह होगा कि किस प्रकार से तमिलनाडु में कमल हासन और रजनीकांत एक दूसरे के आमने सामने पाएंगे ,
हालांकि अभी 2021 के चुनावों में काफी समय शेष है लेकिन रजनीकांत के लिए यह अच्छा अवसर है, वो चाहह तो अपनी पार्टी की जड़ें तमिलनाडु में अच्छे से जमा सकते हैं. जयललिता की मृत्यु के बाद ‘एआईएडीएमके‘ कमजोर दिख रही है वहीं दूसरी ओर ‘डीएमके’ करुणानिधि के बिना उतनी भी मजबूत नहीं जितनी वह हुआ करती थी. उनके बेटे स्टैलिन अपने आपको एक बड़े लीडर के रुप में प्रस्तुत कर पाने में अभी तक नाकाम रहे हैं हालाँकि डीएमके का तमिलनाडु की जनता के बीच अच्छा कैडर होना राहत की बात है लेकिन हाल ही में संपन्न हुए ‘आर के नगर’ के बाई इलेक्शन में उनके कैंडिडेट का हार जाना एक खराब संकेत भी है.

अगर सोचा जाए तो शायद रजनीकांत के लिए अपनी जड़ें मजबूत करना उतना भी मुश्किल नहीं होगा क्योंकि जिस प्रकार से उनके प्रशंसक तमिलनाडु में मौजूद हैं उससे यह साफ़ तौर पर जाहिर होता है कि तमिलनाडु की राजनीति में आने वाले समय में रजनीकांत एक बड़ी भूमिका निभाने वाले है. देखना यह होगा कि रजनीकांत जो भारतीय जनता पार्टी के नजदीकी बताए जाते हैं वह तमिलनाडु की सभी विधानसभा क्षेत्रों में चुनाव लड़ने के बावजूद भी भारतीय जनता पार्टी के साथ किस प्रकार का गठबंधन करते हैं, या भारतीय जनता पार्टी से वह केवल बाहरी सपोर्ट लेते हैं. इसकी उम्मीद हालांकि बहुत कम है लेकिन फिर भी राजनीति में किसी भी समीकरण को नकारा नहीं जा सकता है. अभी के लिए सिर्फ यह कहा जा सकता है कि रजनीकांत ने राजनीति में प्रवेश की अपनी खबर को एक सनसनीखेज रूप से जनता के सामने रखा है और यह आने वाला वक्त बताएगा कि जिस प्रकार से उन्होंने फिल्मों में अपार सफलता हासिल की है वैसी सफलता अपने राजनीतिक सफर में हासिल कर पाते हैं या नहीं.

 

यह लेख स्पर्श उपाध्याय ने फाउंडर सीईओ जन की बात, प्रदीप भंडारी के इनपुट्स के साथ लिखा है. क्रिएटिव एडिटिंग और आईडिया फॉउन्डिंग पार्टनर जन की बात, आकृति भाटिया ने उपलब्ध करवाया है

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