हाल ही में ‘जन की बात‘ के फाउंडर सीईओ प्रदीप भंडारी जी न्यूज़ के कार्यक्रम ‘ताल ठोंक के‘ में बतौर युवा पत्रकार और उत्तर प्रदेश की राजनीती को नजदीकी से समझने वाले पत्रकार के रूप में शामिल हुए. कार्यक्रम की होस्ट पत्रकार रुबिका लियाक़त हैं और उन्होंने कार्यक्रम का मुद्दा ‘उत्तर प्रदेश निवेश समिट 2018‘ बनाया।
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बुधवार को यूपी में 4 लाख 28 हज़ार करोड़ के निवेश का ऐलान हुआ था जिसके बाद जन की बात सीईओ प्रदीप भंडारी को ज़ी न्यूज़ के कार्यक्रम ताल ठोकके में योगी सरकार की कामयाबी और नाकामयाबी विषय पर चर्चा के लिए बुलाया गया। इस दौरान प्रदीप भंडारी ने बहुत से ऐसे आकड़ों को जनता के समक्ष रखा जो हककीत में आश्चर्यजनक थे। दरअसल, इस पूरी चर्चा का मुख्य सवाल था कि क्या योगी ने श्मशान और कब्रिस्तान वाली सियासत का जवाब विकास से दिया है? यूपी में निवेशक आया तो क्या निवेश भी आएगा? क्या योगी ने 11 महीनों में यूपी के यूपी के विकास का वनवास खत्म कर दिया है? यूपी को बिमारू राज्य बनाने का जिम्मेदार कौन है?
इन सब सवालों के जवाब में प्रदीप भंडारी ने बताया कि यूपी बदल रहा है और अच्छी तरह से बदल रहा है। उत्तर प्रदेश में पहले जो हम ख़बरें देखते थे वो ये थी कि 11 हजार किडनैपिंग, 6813 सांप्रदायिक मुद्दों, 800 हजार केसेज़ अनुसूचित जनजाती के खिलाफ होती थी।
पहले उत्तर प्रदेश ऐसी व्यवस्था के अंदर था जहाॅं मुजरिमों का गुंडाराज चलता था और अगर ऐसी व्यवस्था में निवेशक एमओयू भी साइन कर लेता था तो वह भी कारगर रूप से परिणाम में तब्दील नही हो पाती थी। और अब आप देखिए की क्या स्थिति है, क्या एक्शन इसके खिलाफ लिया जा रहा है? 2900 मुज़रिमों के खिलाफ एक्शन लिया जा रहा है, 12 मुजरिमों पर हमले पुलिस द्वारा किए जा चुके है, 140 गुंडों की प्रोप्रर्टी को सीज़ कर दिया गया है। दरअसल, एक वातावरण बनाया जा रहा है जोकि पाॅलिसी के लिए जरूरी है। निवेशक अगर पैसा डालेगा तो सुनिश्चित करेगा कि उसका पैसा सेफ भी या नही। गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश एक ऐसी स्थिति से गुज़र चुका है जहाॅं पर 35 प्रतिशत आबादी उत्तर प्रदेश की गरीबी रेखा से नीचे है। उत्तर प्रदेश एक ऐसी स्थिति से गुज़र चुका है जहाॅं पर 16 से 17 प्रतिशत आबादी होने के बावजूद सिर्फ 8 प्रतिशत जीडीपी में योगदान देता है तो कही ना कही उत्तर प्रदेश कर्ज में रहा है और इनवेस्टर समिट है कहीं ना कही उत्तर प्रदेश को कर्ज से श्रेय की तरफ ले जाने की तरफ कदम है और जिसमें सबसे जरूरी है लाॅ और आॅर्डर।
जिसके बाद कांग्रेस नेता राशिद अलवी ने एंनकाउंटर में मारे जाने वाले मुजरिमों को कहा भटके हुए युवा कहते हुए धर्म की राजनीति भी करनी चाही जिसका जवाब देते हुए प्रदीप भंडारी ने कहा कि मुजरिम मुजरिम होता है, मुजरिम का कोई धर्म नही होता है, मुजरिम ना हिंदू होता है ना मुसलमान। इसमें भी हिंदू मुसलमान की राजनीति करना गलत है और अगर कोई एनकाउंटर होता है तो उसकी पूरी रिपोर्ट जाती है जिसके बाद डिस्ट्रीक्ट मजिस्टेरियल इन्क्वारी होती है। हर एनकांउटर की रिर्पोट नेशनल हयूमन राइट्स कमीशन के पास जाती है। अगर किसी का भी एनकाउंटर होता है तो उसका परिवार जाकर ज्यूडीशियल एनक्वारी के लिए अपील कर सकता है।