राहुल कुमार, जन की बात
सिल्ली विधानसभा बंगाल-झारखंड बॉर्डर पर स्थित है । यह क्षेत्र महतो समाज और आदिवासी समाज बहुसंख्यक है।
यह उन वीआईपी सीटों में आता है जहां पर हर पत्रकार और झारखंड की जनता की नजर है, क्योंकि यहां से आजसू पार्टी के संस्थापक और आजसू के स्टार प्रचारक नेता सुदेश महतो खुद चुनाव लड़ते हैं।
सुदेश महतो, आजसूयहां जाति समीकरण की बात करें मुंडा समाज 30% से 40% क्षेत्र में है तो वही महत्व समाज भी यहां 30% के करीब अपनी पकड़ रखता है।
भाजपा और आजसू ने मिलकर झारखंड में 5 साल सरकार चलाने के बाद सीटों के बंटवारे पर मतभेद होने के कारण चुनाव मैदान में अलग-अलग उतरने का फैसला किया है।
कई राजनीतिक पंडितों का मानना था की आजसू के अलग चुनाव मैदान में उतरने से दूसरे और तीसरे चरण के चुनाव में भाजपा को नुकसान झेलना पड़ सकता है, लेकिन भाजपा ने अपना पुराने साथी को लेकर दिलबरा करते हुए सिल्ली विधानसभा से कोई भी उम्मीदवार नहीं उतारा है, जिसका सीधा फायदा सुदेश महतो को मिलना तय है।
सुदेश महतो पिछली बार सीमा देवी महतो से हारने के बाद इस बार कोई भी कमी नहीं छोड़ना चाहते।
सुदेश महतो सिल्ली विधानसभा से तीन बार विधायक बनकर विधानसभा पहुंच चुके हैं लेकिन लगातार तीन बार विधायक और सरकार में साझेदार होने के बावजूद भी क्षेत्र में पानी से लेकर सड़कों के निर्माण जैसे कई कार्य ना होने के कारण लोगों ने पिछली बार भरोसा नहीं किया था।
इस बार भी चुनौतियां बहुत है लेकिन अपने निकट उम्मीदवार सीमा देवी महतो द्वारा कोई खास काम ना कर पाने की वजह से महतो समाज मैं सीमा महतो की पकड़ कमजोर हुई है ।
क्या थी पिछले बार हर की वजह ?
सिल्ली विधानसभा में घूमते हुए हमें यह साफ दिखा और लोगों से भी जानने को मिला कि, इस बार सुदेश महतो की तरफ से प्रचार-प्रसार और उस पर किए जाने वाला खर्च की देखरेख वे खुद कर रहे हैं। जिसकी वजह से कार्यकर्ताओं में जोश और हर चौराहे पर उनकी फोटो साफ दिखाती है।
सिल्ली विधानसभा में पिछली बार कार्यकर्ताओं में इन्हीं सब को लेकर नाराजगी थी जिसका असर पिछले चुनाव में देखने को भी मिला था। जहां सुदेश महतो शहरी और महतो समाज में अपनी पकड़ बनाए हुए हैं तो वही सीमा देवी दूरदराज के आदिवासी गांव खेरो में अपनी वोट बैंक तलाश रही है।
क्या कहते हैं जमीनी समीकरण ?
सुदेश महतो जहां पिछली बार की मिली हार को इस बार पुरानी गलतियों से सीख कर जीत में बदलने की कोशिश कर रहे हैं साथ कार्यकर्ताओं के जोश और लोगों के मिजाज को देखते हुए सीमा देवी पर भारी पड़ने की संभावना है। सीमा देवी का शहरों में कई जगह विरोध देखने को भी मिल रहा है।