आखिरी समय में बढ़े वोट प्रतिशत ने सबको चौका दिया था
नितेश दूबे, जन की बात
इस साल संपन्न हुए दिल्ली के विधानसभा चुनाव अपने आप में कई मायनों में खास थे। कभी इस चुनाव में बड़े नेताओं ने आक्रामक बयान दिए जो की चर्चा का विषय रहें तो शाहिनबाग भी इस चुनाव में काफी बड़ा मुद्दा बना। चुनाव से ठीक डेढ़ महीना पहले नागरिकता संशोधन बिल पास हुआ था। जिसे लेकर दिल्ली में कई जगह दंगे हुए और आगजनी हुई। वह भी चुनाव के दौरान मुद्दा बना। हालांकि अरविंद केजरीवाल दोबारा भारी बहुमत से जीतकर दिल्ली की सत्ता पर काबिज हुए।
बढ़े वोट प्रतिशत
आपको बता दें कि जल्दी चुनाव के मतदान 8 फरवरी तारीख को हो रहे थे। इस दौरान सभी को उम्मीद थी कि दिल्लीवासी भारी संख्या में मतदान करेंगे। सुबह मतदान शुरू हुआ तो धीरे-धीरे मतदान केंद्रों पर भीड़ बढ़ती रही लेकिन कुछ देर बाद एकदम शांत हो गया। शाम 5:30 बजे तक महज 36 फ़ीसदी मतदान हुआ था। इसे लेकर चिंताएं होने लगी और कई लोगों ने अरविंद केजरीवाल को भी ट्रोल करना शुरू कर दिया और लोग कहने लगे कि केजरीवाल के काम से जनता खुश नहीं है।
शाम 4:00 बजे तक चुनाव वाले दिन सभी एग्जिट पोल तैयार हो जाते हैं। जब 5:00 बजे तक 36 फ़ीसदी मतदान हुआ तब लोगों के मन में चिंता है होने लगी। फिर एकाएक मतदान प्रतिशत बढ़ा और 8:00 बजे रात तक करीब 64 फ़ीसदी मतदान दिल्ली में पड़ गए। जिसके बाद जन की बात को छोड़कर के सभी सर्व एजेंसियां को चिंता होने लगी। सभी अपने बचाव का प्रयास करने लगी कि ताकि अगर उनका एग्जिट पोल गलत होगा तो वह यह बोल देंगे कि मतदान का प्रतिशत एकाएक बढ़ा था। हालांकि जन की बात अपने अंको पर कायम रहा और जन की बात और उसके सीईओ प्रदीप भंडारी ने 8 तारीख की रात को जो एग्जिट पोल प्रस्तुत किया था उसी के अनुसार नतीजे आए।
लोगों ने ईवीएम मशीन में गड़बड़ी के आरोप लगाए
जब दिल्ली चुनाव के दौरान मतदान वाले दिन मतदान प्रतिशत कम रहा और शाम को साढ़े 5 बजे के बाद मतदान का प्रतिशत बढ़ा। तो उस दिन कितना प्रतिशत वोट पड़ा है यह इलेक्शन कमीशन ने जाहिर नहीं किया। इसको लेकर के आम आदमी पार्टी और कांग्रेस और कई बुद्धिजीवियों ने बीजेपी पर निशाना साधना शुरू कर दिया। उन्होंने इलेक्शन कमीशन पर आरोप लगाया कि इलेक्शन कमीशन दबाव में काम कर रहा है और ईवीएम टेम्पर की जा सकती है।
हालांकि ऐसा कुछ नहीं था अगले दिन इलेक्शन कमिशन हरेक विधानसभा के आंकड़े को प्रस्तुत करता है और जब चुनाव के नतीजे आते हैं और आम आदमी पार्टी के पक्ष में नतीजे होते हैं ,तो सभी चुप्पी साध लेते हैं।