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20 लाख करोड़ के पैकेज पर अर्थशास्त्री मोहनदास पाई और निशा होला से प्रदीप भंडारी की बातचीत

अभिनव,जन की बात

1.आप सरकार द्वारा दिए गए 20 लाख करोड़ रुपए के पैकेज पर क्या कहना चाहेंगे?

यह सरकार के द्वारा बड़ी चतुराई से बनाया गया पैकेज है। इसमें सरकार ने टीडीएस और टीसीएस के साथ जीएसटी के रिफंड देना मिडिल क्लास के लिए राहत की बात है। वहीं सरकार ज्यादातर पैसा सरकारी गारंटी के ऊपर एमएसएमई को से रही है जिससे एक बड़ी लिक्विडिटी की समस्या इस सेक्टर के लिए दूर हुई है। दूसरी तरफ कृषि क्षेत्र के लिए एक उदारीकरण की नीति सरकार लेकर आई है। जो इस आर्थिक पैकेज की मुख्य विशेषता है।

 

2. विपक्ष सरकार ने पूछ रहा है कि किसी को भी सीधा पैसा क्यों नहीं दिया इस पर आप क्या कहना चाहेंगे?

देश के अंदर लगभग 8 करोड से अधिक प्रवासी मजदूर है। केंद्र सरकार ने उन्हें फ्री राशन की अगले 3 महीने तक व्यवस्था की है। यह गरीब लोगों के लिए एक सीधी राहत है। जहां तक पैसे देने का प्रश्न है। कोरोना वायरस का प्रभाव लंबे समय तक रहेगा। यदि सरकार अभी सभी लोगों के खाते में ₹5,000 से ₹10,000 डाल देती है। तो सरकार बड़ी मात्रा में कर्ज नहीं मुहैया करा पाएगी। जिससे देश में छोटे उद्योग बंद जाएंगे। इससे देश में बड़ा रोजगार संकट खड़ा हो जाएगा।

3. एमएसएमई को सरकार द्वारा दिए जाने वाले 3 लाख करोड़ रुपए के पैकेज पर आप क्या कहना चाहेंगे?

देश में बड़ी संख्या में लोग एमएसएमई में कार्य करते है।
एमएसएमई देश के उत्पादन क्षेत्र में 80 फ़ीसदी लोगो को रोजगार देती है। आंकड़ों की बात करें तो देश में कुल एमएसएमई का 25 फ़ीसदी के पास केवल 1 महीने की लिक्विडिटी है। और अगले 25 फ़ीसदी के पास 3 महीने की। जब लोग लॉकडाउन के बाद घर से वपास काम पर लौटेंगे। तो लोगो को जॉब जाने का और फैक्ट्री बंद होने का खतरा इस पैकेज ने दूर दिया है।

4. काफी सारी राज्य सरकार है लेबर लॉ को बदलने की बात कर रहे हैं इस पर आप क्या कहना चाहेंगे?

देश को अभी अधिक मजदूरों को रोजगार देने वाली इंडस्ट्री की जरूरत है। ताकि देश में जल्द से जल्द बड़ी मात्रा में रोजगार उत्पन्न किया जा सके। देश में इस समय बड़ी मात्रा में प्रवासी मजदूर पंजाब ,गुजरात,महाराष्ट्र, दिल्ली राजस्थान से उत्तर प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, की तरफ जा रहे है। तो बड़ी मात्रा में रोजगार उत्पन्न करने के लिए जरूरी है। यदि पुराने कानूनों की बात करें। तो उनसे मजदूरों की इस स्थिति में कुछ खास सुधार नहीं हो रहा था। बड़ी कंपनियों में कॉन्ट्रैक्ट लेबर की तादाद बढ़ती जा रही है। यदि सरकार नए कानूनों में लाएगी। उनमें भी मिनिमम मजदूरी, समय पर मजदूरी आदि का प्रावधान होगा। सरकार प्रवासी मजदूरों के कम कीमत पर शहरों में किराए के घर का प्रावधान भी अपने पैकेज में लेकर आई है।

5. कृषि में उदारीकरण किसानों को कैसे छोटी अवधि में और लंबी अवधि में फायदा पहुंचाएगा?

ईसी एक्ट कभी भी खाद्य उत्पादों को बड़ी मात्रा में स्टोर नहीं करने देता था। एपीएमसी एक्ट किसानों को कभी उत्पाद मंडी में नहीं बेचने देता था। सरकार ने फॉर्म गेट को कानूनी बनाकर किसानों से उपभोक्ता तक एक सीधा रास्ता बनाया है। साथ ही बिचौलियों की भूमिका को भी कम किया है। इसका परिणाम यह होगा कि टमाटर के लिए शहरों में चुकाए जाने वाले ₹80 में से किसानों के पास बड़ी हिस्सेदारी जाएगी। जिससे गांव में जीवन स्तर भी सुधरेगा।

6. आप डिफेंस सेक्टर में एफडीआई की 74 फ़ीसदी करना और खनिज निकासी के लिए प्राइवेट सेक्टर को अनुमति देना को कैसे देखते है?

देश में इस वक्त कोयले की निकासी का पूरा कार्यभार देश की सरकारी कंपनी कोल इंडिया के पास है। आंकड़ों की बात करें तो पूरे साल भर में कोल इंडिया जितना कोयला निकालती है उसका 15% के आसपास हर साल चोरी हो जाता है। यदि सरकार प्राइवेट कंपनियों को खनिज निकासी के लिए आमंत्रित करेगी। तो राज्य सरकार को नीलामी से एक बड़ी धनराशि प्राप्त होगी । इसके साथ ही बड़ी मात्रा में रोजगार भी उत्पन्न होगा।

भारत पिछले 70 साल से अपनी रक्षा जरूरतों का 80 से 90 फीस दी विदेशों से आयात करता रहा है। जिसके पीछे एक बड़ा कारण पूर्वर्ती सरकार में बिचौलिया का होना भी है। जिनके कमीशन के कारण देश में डिफेंस इंडस्ट्री विकसित नहीं हो पाई। यदि सरकार ने एफडीआई को 74% तक बढ़ाया है। इससे देश में कई बड़े विदेशी डिफेंस कंपनियां निवेश करेंगी। जिससे देश अपने रक्षा जरूरतों की पूर्ति के लिए विदेशों पर निर्भरता कम होगी।

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Sombir Sharma
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Sombir Sharma - Journalist

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