कोरोना को हराने वाले डॉ. प्रकाश सतवानी ने कहा कोरोना से जंग में महत्वपूर्ण है ‘इम्युनिटी’ का मजबूत होना।जन की बात के फाउंडर प्रदीप भंडारी, कोरोना काल मे जनता तक जनता के हित से जुड़ी खबरों को लाने में जुटे हैं, और इसी कड़ी में उन्होंने बात किया कोलंबिया यूनिवर्सिटी के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. प्रकाश सतवानी से। कोरोना वारियर्स का ये एपिसोड काफी महत्वपूर्ण था, जिसमे कोरोना से किस प्रकार लड़ा जाए और उसके लिए कौन सी तैयारियाँ ज़रूरी हैं इस पर चर्चा हुई।
अमेरिका में रहने वाले डॉ. प्रकाश सतवानी को भी कोरोना हुआ था, इंटरव्यू के दौरान उन्होंने बताया कि मार्च के महीने में अमेरिका में अगर आपको कोरोना नही है तो मास्क लगाना ज़रूरी नही था, और इसी वजह से डॉ. प्रकाश ने हॉस्पिटल में नियमित रूप से काम करते वक़्त मास्क नही लगाया था, इसी बीच उनके पास एक मरीज आता है,जिसकी तबियत खराब थी, मगर कोरोना के लक्षण नही थे।
CORONA WARRIROR DR PRAKASH DEFEATED CORONA https://t.co/uLFzsk8lal
— Pradeep Bhandari(प्रदीप भंडारी) (@pradip103) April 20, 2020
मगर उसके बाद 27 मार्च को डॉ. सतवानी की तबियत बिगड़ने लगती है और तेज बुखार के साथ शरीर मे दर्द होता है, और 1 मई तक वो कोरोना टेस्ट में पॉजिटिव पाए जाते हैं। यहाँ महत्वपूर्ण बात ये है कि डॉ. सतवानी के फेफड़े अब तक कोरोना संक्रमित नही थे यानी फेफड़ो में न्यूमोनिया की शिकायत नही थी।
जिसकी वजह से उनकी तबियत ज़्यादा गम्भीत नही हुई थी। चर्चा के दौरान उन्होंने बताया कि अपने इलाज के लिए वो हैड्रोसीक्लोरोक्वीन और पैरासिटामोल टेबलेट्स को लेना शुरू किया, और इसके साथ घरेलू उपचारों पर भी ध्यान दिया जिसमें हल्का सुपाच्य भोजन, हल्दी दूध भी शामिल थे। डॉ. प्रकाश ने इस बात पर ज़ोर देकर बताया कि कोरोना के वक़्त खुद को ‘हाइड्रेटेड’ रखना जरूरी है।
कोरोना के लक्षणों पर चर्चा के वक़्त उन्होंने बताया कि कैसे उन्ही के परिवार के 4 सदस्यों को अलग अलग प्रकार के लक्षण थे। जहाँ डॉ. प्रकाश को तेज भुखार के साथ शरीर में दर्द था वहीं उनकी पत्नी और बच्चो को गले मे खराश और हल्का बुखार। इस चर्चा के वक़्त उन्होंने बताया कि कोरोना सबसे ज़्यादा खतरनाक तब होता है जब उसका असर फेफड़ो पर शुरू हो जाता है।
अब वो वापस अपने काम पर लौट गए हैं ,क्योंकि अमेरिका में अगर किसी स्वास्थ्यकर्मी को 72 घंटो तक बुखार नही होता है तब वो वापिस अपने काम पर लौट सकता है। इसी वजह से डॉ. प्रकाश भी अपने काम पर लौट चले हैं, मगर सोशल डिस्टेंसिंग और बार बार हाथ साबुन से धोना अब एक महत्वपूर्ण कार्य बन गया है।