अगर देखा जाए तो पूरे देश में कई तरह के ब्रांड के बिस्किट मार्केट में आए और चले भी गए, लेकिन पार्ले जी बिस्किट आज भी उतना ही फेमस है जितना 82वर्ष पहले हुआ करता था । मौजूदा स्तिथि में इस लॉकड़ाउन के दौरान भी पार्ले जी बिस्किट की बिक्री इस वक़्त सबसे ज्यादा हुई है। पार्ले जी की बिक्री अभी इस वक़्त भी उच्च स्थान में चल रही है। इस बिस्किट के बारे में अगर देखा जाए तो इसकी गुणवत्ता इतनी अच्छी है कि इसका प्रसार देश के हर ग्राम में फैला हुआ है बाजार में कोई दूसरी बिस्किट मिले या नहीं मिले लेकिन पारले जी बिस्किट शहर के साथ साथ हर ग्रामीण हिस्से में भी इसकी उपलब्धता मिल जाती है। कई घरों में तो लोगो के द्वारा यह भी कहना होता है कि पार्ले जी बिस्किट देखते ही उन्हें उनका बचपन याद आजाता है। पार्ले जी बिस्किट कोई साधारण बिस्किट नहीं बल्कि देश के 70% घरों में इस बिस्किट का ही इस्तेमाल किया जाता है । वर्तमान समय में कई बिस्किट के ब्रांड आ रहे है लेकिन पारले जी ने शुरू से ही अपने स्थान और अपनी गुणवत्ता को बनाए रखा है । साथ ही पार्ले के पार्ले जी के अलावा क्रेक-ज्रेक, मोनाको ओर पार्ले मेजीक भी बाजार में उपल्बध है!
देश के साथ साथ विदेश में भी कब्जा पार्ले जी बिस्किट का
भारत से बाहर पार्ले-जी यूरोप, ब्रिटेन, अमेरिका, कनाडा, आदि में भी इसकी पकड़ है ।कंपनी का नारा है, पार्ले जी का मतलब जीनियस (प्रतिभाशाली) . “पार्ले-जी” नाम को उपनगरीय रेल स्टेशन विले पार्ले से लिया गया है जो स्वयं पार्ले नामक पुराने गांव पर आधारित है। अगर देखा जाए तो ग्लूकोज बिस्कुट श्रेणी के 70% बाजार पर इसका कब्जा है, साथ ही हाई-वे किनारे के ढाबों, गांव और कस्बे इलाके में की चाय की दुकान में आज भी लोगों की पहली पसंद पारले जी (Parle G Biscuit) बिस्किट हैं. शहरों में भी इसके खरीददार कम नहीं हैं ।
1929 में भारत जब ब्रिटिश शासन के अधीन था तब ‘पार्ले जी’ पार्ले प्रोडक्ट्स नामक एक छोटी कंपनी का निर्माण हुआ था। मुंबई के उपनगर विले ‘पारले जी’ (पूर्व) में मिठाइयों तथा टॉफियों (जैसे कि मेलोडी, कच्चा मैंगो बाईट आदि) के उत्पादन के लिए एक छोटे कारखाने को स्थापित किया गया। एक दशक बाद वहां बिस्कुट का उत्पादन भी शुरू कर दिया गया जिसके बाद से बढ़कर यह भारत की सबसे बड़ी खाद्य उत्पाद कंपनियों से एक हो गई।