कौशिक, जन की बात
रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क के संस्थापक अर्णव गोस्वामी द्वारा पालघर में भीड़ द्वारा साधुओं की हत्या के मुद्दे को उठाने के बाद से लगातार महाराष्ट्र सरकार व महाराष्ट्र पुलिस उन पर जांच व पूछताछ का कार्य कर रही है।
क्या सच दिखाने की सजा दे रही महाराष्ट्र सरकार?
खबर को दिखाए जाने के बाद से लगातार महाराष्ट्र सरकार पत्रकारिता का गला घुटने का काम कर रही है। यही नहीं पूछताछ के बाद अर्णव गोस्वामी पर एक जानलेवा हमला भी हुआ जिसके बाद ट्विटर पर कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने जश्न भी मनाया। वहीं अब एक ऐसा मामला सामने आ रहा है जो स्वतंत्र भारत में पत्रकार व पत्रकारिता का गला घोटने जैसा प्रतीत हो रहा है।
घोर अन्याय के कार्य में महाराष्ट्र सरकार के अधीन मुंबई पुलिस अर्नब गोस्वामी को निशाना बना रही है और उनसे इस महामारी के दौरान पूछताछ के लिए पुलिस स्टेशन में बुला रही है।
सच्ची पत्रकारिता करना पाप है महाराष्ट्र में?
आपको बता दें कि, अर्नब गोस्वामी ने 14 अप्रैल को विरोध प्रदर्शन के दिन अर्नब गोस्वामी ने अपने संवाददाताओं को बांद्रा की घटना पर एक स्टिंग ऑपरेशन चलाने के लिए भेजा।
अर्नब ने बताया कि कैसे एक एनसीपी से जुड़े व्यक्ति विनय दुबे भीड़ को इकट्ठा करने के लिए उकसा रहा था। अर्नब द्वारा रात 9 बजे उसे उजागर करने के बाद, उसे अगले दिन 15 अप्रैल को मुंबई पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया।
ज्ञात हो कि, 27 अप्रैल के दिन अर्णव गोस्वामी की SEMI-CUSTODIAL INTERROGATION से 12 और डेढ़ घंटे तक गुजरना पड़ा। यहां तक कि इस प्रक्रिया में अपने शो को एंकर करने से भी चूक गए थे। वास्तव में जब पहली बाद अर्नब से पूछताछ के दौरान यह भी सामने आया कि उस पूछताछकर्ताओं में से एक covid पॉजिटिव था। इसके बावजूद मुंबई पुलिस एक बार फिर अर्नब की जान जोखिम में डालने जा रही है।
अब चूंकि महाराष्ट्र में की स्थिति चीन और मुंबई की तुलना में 50,085 कोविड से अधिक मामलों से नियंत्रण से बाहर हो गई है। पुलिस ने अर्नब से एक बार फिर पूछताछ करना प्राथमिकता बना दिया है। संकट का प्रबंधन करने के लिए सरकार की अक्षमता के कारण CLEAR AGENDA TO DISTRACT का सामना करना पड़ता है।
खैर वो बात अलग है कि अर्नब गोस्वामी लगातर जांच में सहयोग कर रहे हैं। परंतु सवाल यह उठता गई कि-
क्या महाराष्ट्र सरकार बदले की भावना से काम कर ही है?
क्या महाराष्ट्र में अब पत्रकारिता का गला दबाया जा रहा है?
क्या महाराष्ट्र में अब लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ को तोड़ने की साजिश हो रही है?
क्या महाराष्ट्र में पत्रकार को सच दिखाने की सजा दी जा रही है?
ऐसे अनेकों सवाल अब महाराष्ट्र की सरकार पर उठने लगे है।