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आखिर क्या पोलियो से ज्यादा खतरनाक है कोरोना, संक्रमित व्यक्तियों में सिर्फ 60% लोगो को ही पड़ेगी वैक्सीन की जरूरत

दीपांशु सिंह, जन की बात

अगर इम्यूनिटी शब्द की बात की जाए तो इस वायरस को हराने का सबसे बड़ा उपाय हार्ड इम्यूनिटी मनुष्य को साधारण जीवन में प्राप्त करनी होगी । अगर मौजूदा स्तिथि देखा जाए तो मार्केट में कोरोना की वैक्सीन अा भी जाती है तो सिर्फ संक्रमित व्यक्तियों में 60% लोगो को ही वैक्सीन कि जरूरत पड़ेगी, वहीं 40% लोगो का अपने आप ही खुद ठीक हो जाएंगे, यानी 40 प्रतिशत को स्वयं ही प्रोटेक्शन मिल जाएगी।

विशेषज्ञ के अनुसार देख जाए तो बीते समय में देखा जाए तो स्वाइनफ्लू , खसरा,पोलियो जैसी बीमारियों में वैक्सीन से हार्ड इम्यूनिटी प्राप्त की गई और लोगों को इसका लाभ भी मिला है ।

कोविड-19 में अगर 60 से 70 फीसदी आबादी को वैक्सीन दे दी जाए तो हर्ड इम्यूनिटी का स्तर आसानी से पाया जा सकता है। वहीं कुछ एक्सपर्टो के अनुसार कहना है कि रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के प्राकृतिक तरीके से भी कोरोना को हराया जा सकता है।

एम्स के एमडी क्लीनिकल रिसर्च नेटवर्क इंडिया के सीईओ और वैक्सीन एक्पर्ट डॉ. अनित सिंह का कहना है कि पब्लिश लिटरेचर और वैज्ञानिक अध्ययनों में पता लगा है कि कोरोना का आर नॉट (कंटेजियस सेक्टर) 1.5-3 की रेंज का है, यानी लगभग 60 से 70 प्रतिशत लोगों को ही वैक्सीन दे दें तो हर्ड इम्यूनिटी डिवेलप हो जाएगी। जबकि मीजल्स और पोलियो में आर नॉट फैक्टर ज्यादा होता है। मतलब मीजल्स में 80 फीसदी से ज्यादा को वैक्सीन से कवर करने की जरूरत होती है। तो इस लिहाज से कोरोना में आर नॉट फैक्टर कम होता है।

भारत में जब पोलियो वायरस ने दस्तक दी थी तब हमारे देश में पोलियो वायरस के करीब 1.50लाख मामले प्रतिवर्ष दर्ज किए जाते थे। लेकिन जैसे ही इसका टीका तैयार हुआ मामला धीरे-धीरे कम होता गया और वहीं आज भारत वर्ष 2014 में पोलियो मुक्त हो चुका है। इसलिए कहा जा सकता है बाजार में कोरोना की वैक्सीन आते ही लगभग 40% लोगो की हर्ड इम्यूनिटी ऑटोमैटिक विकसित हो जाएगी।

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Sombir Sharma
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Sombir Sharma - Journalist

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