जन की बात के फाउंडर एंड सीईओ प्रदीप भंडारी ने जन की बात कन्वर्सेशन के 17 एपिसोड में जानी-मानी सामाजिक कार्यकर्ता शेफाली वैद्य को बुलाया, जिसमें प्रदीप भंडारी ने पेटा इंडिया की कार्यपद्धति और हिन्दू फोबिक कॉमेडी को लेकर सवाल पूछे।
प्रदीप भंडारी जी ने पहला सवाल पूछा कि पेटा इंडिया को आप कैसे देखती है, आपको कब लगा कि पेटा इंडिया के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए और इसके पाखंड को देश के सामने रखना चाहिए
सामाजिक कार्यकर्ता शेफाली वैद्य ने कहा कि वह पेटा इंडिया को काफी समय से जानती है। पेटा इंडिया जानवरों के लिए काफी कुछ कर सकती है। यह एक एनजीओ है। जिसका फंड 8 करोड से अधिक है। लेकिन यह इस फंड का उपयोग अपने कर्मचारियों को सैलरी देने में, या फिर होर्डिंग लगाने पर ही खर्च कर देता है। जहां तक बात कार्यपद्धती की है, मैं कुछ वर्षों से देख रही हूं, कि पेटा इंडिया केवल हिंदू त्योहारों को टारगेट करता है। फिर कोर्ट में पीआईएल डालता है जैसा कि उसने कर्नाटका के मैसूर में दशहरे पर हाथी के उपयोग करने पर बैन लगाने के लिए डाली। वहीं तमिनाडु में जलीकट्टू को लेकर पीआईएल डाली गई। रक्षाबंधन के आने पर गाय के होडिंग लगाते है, कि गाय को बचाओ। जबकि हकीकत में गाय और रक्षाबंधन का आपस में कोई संबंध नहीं है। जबकि ईद पर करोड़ों बकरों को काट दिया जाता है उसके खिलाफ पेटा इंडिया ने आज तक कोई पीआईएल नहीं डाली। और आज तक मैंने नहीं देखा कि पेटा इंडिया जमीन पर उतर कर किसी जानवर को बचाता है या फिर उसमें कुत्तों,बिल्लियों आदि को बचाने के लिए कोई शेल्टर होम भी बनाया हो। यदि जानवरों के नाम पर कुछ करते है तो यह लोग मीडिया को बुलाकर होटलों में फंक्शंस करते है।
प्रदीप भंडारी ने शैफाली वैद्य से सवाल पूछा कि पेटा इंडिया के दो ट्वीट्स से पाखंड झलकता है रक्षाबंधन पर तो वह गाय को बचाने का होर्डिंग लगाते है, वही ईद के मौके पर यह कोई अपील तक नहीं करते?
शैफाली वैद्य ने कहा कि पेटाइंडिया से पूछना चाहती हूं, कि गाय को खतरा किससे है, कौन खाता है गाय को, और किस से उसकी रक्षा करनी है। मैं जब पेटा इंडिया की वेबसाइट पर गई तो मुझे पेटा यूएसए का लिंक मिला, जिसमें एनिमल्स इन इस्लाम के बारे में लिखा हुआ था और मुझे यह देखकर काफी धक्का लगा कि उसमें लिखा हुआ था जानवरों की बलि देने से पहले कुछ दिन पहले उन्हें अपने घर पर लेकर आओ, फिर उनके साथ एक रिश्ता बनाओ उसके बाद उस जानवर की बलि दे दो। यानि पाखंड की भी सीमा होती है।
प्रदीप भंडारी ने अगला सवाल पूछा कि आज जो हिंदूफोबिक कॉमेडी हो रही है, फिर उसके बाद यह कॉमेडियन कहते है कि यह हमारा फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन है, हम केवल मजाक कर रहे थे। इस पर आपका क्या कहना है?
आज बात करें तो कोई भी जो फेमस होना चाहता है वह तीन चीज कर सकता है या तो मोदी जी को टारगेट करें, या फिर हिंदू धर्म के देवी-देवताओं के खिलाफ कुछ कहे, या फिर हिंदू धार्मिक चिन्हों के खिलाफ कुछ कहें क्योंकि इन सभी कॉमेडियंस को पता है की इनके जोक्स पर कोई हंसने वाला नहीं है तो इनके पास फेमस होने का बस यही तरीका है। मैं उन लोगों से सवाल करना चाहती हूं जो पैसे देकर इन लोगों की कॉमेडी देखने जाते है और यह सब बर्दाश्त कर लेते है।